शिमला (शैलेंद्र कालरा): शुक्रवार-शनिवार के 18 घंटों में प्रदेश ने तीन बड़ी सडक़ दुर्घटनाओं का सामना किया। इन हादसों ने 41 व्यक्तियों का जीवन छीन लिया। अधिकतर युवा थे। काश, इन स्थानों पर समय रहते क्रैश बैरियर ‘रेलिंग’ लगी होती तो शायद 41 परिवारों में सन्नाटा न पसरा होता। लोक निर्माण विभाग महकमा खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नियंत्रण में है। अलबत्ता इस विभाग के मुख्य संसदीय सचिव की जिम्मेदारी विनय कुमार को दी गई है।
हादसों की शुरूआत चंबा के डलहौजी उपमंडल से शुक्रवार शाम 5 बजे हुई। हादसे में 17 जानें जा चुकी हैं। 25 घायल अब भी कराह रहे हैं। इस हादसे के जख्म पर मरहम तक नहीं लग पाया था कि शनिवार सुबह दूसरे हादसे की खबर किन्नौर से आई। यहां 14 में से 13 युवकों ने दुर्घटना में दम तोड़ दिया। गौरतलब है कि मरने वाले 17 से 33 साल के बीच थे। एकमात्र युवक ही केवल अपनी किस्मत से बच पाया।
इस खबर की जानकारी पूरी भी नहीं मिली थी कि तीसरा हादसा शिमला के चौपाल क्षेत्र में शनिवार 11 बजे के आसपास हो गया। एचआरटीसी की बस के गिरने के मामले में पहले चार के मरने की खबर आई, फिर आंकड़ा 7 हुआ। शनिवार शाम 4 बजे तक आंकड़ा 11 तक पहुंच गया। हादसे में 23 लोग घायल हुए हैं।
इन तीनों स्थानों पर एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने एक सामान्य बात पाई कि तीनों ही जगहों पर क्रैश बैरियर नहीं थे। प्रदेश ने हाल ही में 17 नैशनल हाईवे मंजूर होने का बड़ा जश्र मनाया, लेकिन अब तक भी कोई ऐसा बयान राजनीतिज्ञों का नहीं आया, जो यह कहें कि पहले मौजूदा सडक़ों को सुरक्षित करना लाजमी है। मात्र 18 घंटों की औसत देखिए, हर घंटे दो व्यक्तियों की मौत हुई है। करीब तीन सालों से यह सुनने में आ रहा है कि क्रैश बैरियर लगाए जाएंगे, लेकिन धरातल पर नतीजा शून्य है। यहां केवल बड़े तीन हादसों की बात हो रही है, अगर छोटे हादसे भी मिला लिए जाएं तो मृतकों की संख्या 45 के आसपास है।
प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हैं। सडक़ों का सफर जोखिमपूर्ण है। बावजूद इसके अब तक न तो कांग्रेस, न ही भाजपा सडक़ों को सुरक्षित करने को लेकर सही तरीके से आवाज उठा सकी है।
पढि़ए पीडब्ल्यूडी सीपीएस विनय कुमार क्या कहते हैं?
व्यक्तिगत तौर पर बढ़ते हादसों से आहत हूं। ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए थे। इसके लिए बजट मुहैया करवा दिया गया था। इन स्थानों पर संंबंधित मंडल को सडक़ चौड़ी करने या फिर क्रैश बैरियर का बजट मुहैया करवाया गया था। हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण मंत्री से मुलाकात हुई थी, जहां से उन्हें पुरानी सडक़ों को अपग्रेड करने की डीपीआर दोबारा भेजने को कहा गया है। जल्द ही इस मसले पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।