हमीरपुर (एमबीएम न्यूज) : भूकंप के मामले में जिला हमीरपुर अति संवेदनशील जोन में शामिल है। हिमाचल प्रदेश के अर्थ व सांख्यिकी विभाग की तरफ से तैयार एक रिपोर्ट में यह चौकाने वाला खुलासा हुआ है कि जिला हमीरपुर का 90 फीसदी इलाका अति संवेदनशील है। रिपोर्ट के अनुसार अगर प्रदेश में पूर्वोत्तर राज्यों की तरह भूकंप आया तो करीब 65 फीसदी मकान दरक जाएंगे।
कई मकान तो ताश की पत्ते की तरह भरभरा जाएंगे। ऐसी स्थिति के बावजूद चिंता की बात यह है कि हमीरपुर के अधिकांश लोग प्रभावी भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। आज हमीरपुर में बहुमंजिला ईमारतों की कोई कमी नहीं है। जहां नजर दौड़ाएं, बहुमंजिला ईमारते दिखाई देती हैं, जिससे पूरा शहर ढक सा गया है। जो क्षेत्र कई वर्षो पहले हरे भरे होते थे। उनकी जगह अब कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए है।
हमीरपुर में कुछ सालों में अतिरिक्त जनसंख्या में भी निरंतर बढ़ौतरी जारी है, क्योंकि गांवों से लोगों का रूझान हमीरपुर शहर की ओर बढ़ रहा है, परंतु इस विकास को देखकर डर भी लगता है कि हमीरपुर विकास की ओर अग्रसर है या विनाश की ओर।
जिला के 85 फीसदी भवन काफी पुराने समय के हैं। जाहिर है इनमें भूकंपरोधी उपाय काफी कम किए हैं। अगर तीव्र भूकंप आया तो अधिकांश भवन झटका नहीं झेल सकेंगे। हालांकि मध्यम एवं उच्च मध्यम वर्ग के लोग भूकंपरोधी उपायों को अपना रहे हैं। लेकिन निम्न-मध्यम एवं निम्न वर्ग के लोग कम लागत से घर बनाने के चक्कर में मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। यह भी देखा गया है कि संपन्न तबके लोग भी कुशल आर्किटेक्ट की सहायता न लेकर मिस्त्रियों की सलाह पर घर बना रहे। अच्छी खासी रकम खर्च करने के बावजूद तकनीकी रूप से भवन भूकंपरोधी नहीं बन पाता है।
क्या कहती है रिपोर्ट….
अर्थ व सांख्यिकी विभाग की तरफ से तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार अगर 1905 जैसा भूकंप प्रदेश में कहा भी आया तो जिला हमीरपुर में भारी तबाही हो सकती है। रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि राज्य के पांच जिलों के साथ साथ हमीरपुर भी भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील हैं। वैसे भी हमीरपुर भूकंप के संवेदनशील जोन 5 में आता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हमीरपुर का 90 फीसदी इलाका भूकंप के प्रति अति संवेदनशील है। हालांकि प्रदेश में बाढ़ व भूस्खलन भी भारी तबाही मचाते हैं। लेकिन भूकंप सबसे अधिक नुकसान पहुंचाएगा। जहां तक भूस्खलन, हिमस्खलन बाढ़ आदि आपदाओं का सवाल है।
क्या कहती है हमीरपुर शहर की भुगौलिक स्थिति…..
नगर परिषद के एरिया के तहत 11 वार्डों में 3500 हाऊस होल्डर हैं और 1500 से ज्यादा दुकानें हैं। रिकार्ड के मुताबिक हमीरपुर शहर की जनसंख्या 18-20 हजार के करीब है, 1 हजार से ज्यादा गलियां हैं, जिसमें 15 प्रतिशत से ज्यादा संकरी हैं। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भूकंप आता है, तो हमीरपुर में कितनी तबाही हो सकती है। शहर में वैसे भी गिने चुनी ही जगह है और जो बाकी जगह है, उसमें लोगों द्वारा बहुमंजिला ईमारतों को खड़ा किया जा रहा है। कहीं ये बेहताशा निर्माण हमीरपुर में आगामी दिनों में संकट न बन जाए।
भूंकप के लिहाज से जिला हमीरपुर का 90 फीसदी इलाका अतिसंवेदनशील है। विभाग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। बहुमंजिला भवन भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित नहीं हैं। भूकंप आने पर नीचे उतरने का जरिया मात्र सीढिय़ां ही होती हैं। इन इमारतों में रैंप होना आवश्यक है और भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि क्षेत्र की भौगोलिक मानचित्र के आधार पर शहर को बसाना चाहिए। -प्रदीप चौहान, आर्थिक सलाहकार प्रदेश सरकार
पर्यावरण विद् आचार्य रत्न लाल वर्मा का कहना है कि पहाड़ी ईलाकों में बड़े भवन व संकरी गलियां ठीक नहीं हैं, ये बाद में समस्या पैदा कर सकते हैं।