शिमला (एमबीएम न्यूज़) : उपनगर खलीनी में आज खुशी और गम का नजारा था। कुदरत ने पांच माह बाद दो मासूमों को अपने असली माता-पिता के पास तो पहुंचाया ही, साथ ही दोनों परिवारों को एक अटूट रिश्ते से भी जोड़ दिया। अक्सर फिल्मों में नजर आने वाले दृश्य खलीनी में अंजना के आवास पर साकार हुए।
अन्न पराशर की धार्मिक रीति रिवाज से अंजना और शीतल ने अपने बायोलोजिकल बेटी और बेटे को एक-दूसरे से बदला। इस दौरान आवास पर हुए धार्मिक समारोह में दोनों परिवारों के कई रिश्तेदार और मीडिया कर्मियों का जमावड़ा लगा हुआ था। पांच माह पहले 26 मई की रात शीतल का बेटा अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही से बदला गया था। अस्पताल में डयूटी पर तैनात कर्मचारियों ने शीतल के नवजात बेटे को अंजना का बताया और अंजना की बेटी को शीतल को थमा दिया गया।
हाईकोर्ट के हस्तक्षेप तथा डीएनए परीक्षण ने साबित कर दिया कि नवजातों को बदला गया था। शीतल और अंजना दोनों ने पांच माह तक पराई बेटी और बेटे को पाला। अंजना और शीतल को अपने असली बच्चे से मिलने की खुशी तो थी, मगर दूसरी तरफ इस बात का दुख भी कि जिसे पिछले 5 महीने तक अपना मानकर पाला वो किसी और घर जा रहा है।
दोनों माताएं इन बच्चों के लालन-पालन में इस हद तक खो चुकी की जुदाई का गम उनके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। अंजना और शीतल दोनों का एक स्वर में कहना था कि इस घटना ने उन्हें एक अटूट रिश्तें बांध दिया है तथा वे और उनका परिवार एक-दूसरे के यहां समय-समय पर आते रहेंगे।
गौरतलब है कि कमला नेहरू अस्पताल में शीतल नामक महिला की 26 मई की रात डिलीवरी हुई थी। तब डयूटी पर तैनात नर्स ने उसे बेटा होने की सूचना दी, लेकिन 20-25 मिनट बाद उसे बेटी थमा दी गई। इसके बाद शीतल दंपति ने अपने स्तर पर डीएनए परीक्षण करवाया, जो उसे सौंपी गई बच्ची के साथ मैच नहीं हुआ। इस पर दंपति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसी रात पैदा हुए दो अन्य नवजातों व उनके अभिभावकों का डीएनए परीक्षण हुआ। जिसमें इस तथ्य की पुष्ठि हुई कि नवजात बदला गया था। प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई हुई थी। इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता शीतल के अलावा एक अन्य दंपति अंजना को इसे मामले में नोटिस जारी किया और उसे प्रतिवादी बनाया।
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में यह तय हो गया कि वे अपने बच्चों को फिर से बदल लेंगे। ताकि दोनों बच्चे अपने सही मां-बाप के पास पहुंच जाए। दोनों पक्षों ने इस सहमति के बयान उच्च न्यायालय के समक्ष दिए जिसे रिकार्ड पर लिया गया। दोनों बच्चों को मूल मां-बाप के पास एक धार्मिक समारोह के दौरान सौंपे जाने पर सहमति बनी।