मंडी (वी कुमार) : प्रदेश सरकार ऊर्जा के संरक्षण व संवर्द्धन की ओर विशेष ध्यान दे रही है। प्रदेश में गैर पारम्परिक उर्जा स्त्रोतों को सुदृढ़ करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश में लोगों को बायो गैस संयत्र की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है, जिससे लोग अपनी रसोई घर में खाना पकाने तथा रात्रि में बल्व जगाकर प्रकाश की सुविधा भी प्राप्त कर सकते हैं। मुख्यतः पशु पालन व्यवसाय से जुड़े लोग इसका अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
राष्ट्रीय बायो गैस एवं उवर्रक प्रबंधन कार्यक्रम के तहत सुन्दरनगर विकास खंड के तहत 2013 से अब तक 36 से अधिक बायागैस संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि इसमें जयदेवी क्षेत्र की चाम्बी पंचायत में 16 संयंत्र स्थापित किए गए हैं। इन 16 सयंत्रों को स्थापित करने के लिए चाम्बी पंचायत के गांव द्रमण निवासी श्रवण कुमार ने लोगों को प्रेरित किया। चाम्बी पंचायत के गांव सतवैहना और द्रमण में यह बायोगैस सयंत्र सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। इन सभी 16 सयंत्रों का निर्माण प्रशिक्षण प्राप्त सावणू राम द्वारा किया गया है।
कृषि विभाग में कार्यरत एडीओ धर्म चंद ने बताया कि योजना के तहत दीनबंधु बायो गैस माॅडल पर सरकार की ओर से 11 हजार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। अगर लाभार्थी संयंत्र के साथ शौचालय का निर्माण करवाता है तो सरकार उसे 1200 रुपए की राशि अतिरिक्त प्रदान करती है। वायोगैस सयंत्र दो घन मीटर का बनाया जाता है, जिसका डाया लगभग 11 फुट का होता है तथा गहराई साढ़े पांच फुट होती है, इसे बनाने के लिए एक हजार ईटें, एक ट्राॅली रेत व एक ट्राली बजरी लगती है।
संयंत्र पूर्णतया तैयार होने के बाद एक से डेढ़ ट्राली गोबर की पानी के साथ घोल बनाया जाता है। गैस तैयार होना शुरू होने के दो या तीन दिन के बाद 40 या 50 किलो गोबर आवश्यकतानुसार डाला जाता है। इसमें जो व्यर्थ पदार्थ निकलता है, उसे किसान और बागवान अपने खेतों तथा बागीचों में देसी खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस गैस से आप अपने घर में खाना पकाने, पानी गर्म करने के साथ रात में प्रकाश के लिए बल्व का प्रयोग भी कर सकते हैं। बल्ब जलाने के लिए आपको बिजली की दुकान से एक सैट खरीदना पड़ता है, जिससे आप बिजली खर्चा कम कर इसकी पर्याप्त सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। बायो गैस सयंत्र लगवाने के लिए प्रदेशवासी कृषि विभाग से अनुदान व मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। जहां-जहां पशुओं के गोबर की सुविधा हैं वहां इसे सुगमता से चलाया जा सकता है।