शिमला (एमबीएम न्यूज़) : हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. प्रेम शर्मा ने कहा है कि चर्चित कथाकार मृदुला श्रीवास्तव की कहानियां शोषण के विरुद्ध सशक्त आवाज़ हैं। उनका कहना था कि साहित्य में मानवीय सरोकार बहुत आवश्यक हैं।
डॉ. प्रेम शर्मा ने आज रोटरी टाउनहाल में मृदुला श्रीवास्तव के प्रथम कहानी संग्रह “काश! पंडोरी न होती” का विमोचन किया। कार्यक्रम में जाने-माने साहित्यकारों श्रीनिवास जोशी, डॉ. ऊषा बांदे, आत्मा रंजन और कंचन शर्मा ने कहानी संग्रह की समीक्षा भी की। इस अवसर पर अनेक साहित्यकार उपस्थित थे।
डॉ. प्रेम शर्मा ने कहा कि अनेक कानूनों के बावजूद बाल शोषण, नारी शोषण और अन्य कमज़ोर वर्गों का दमन लगातार जारी है। ऐसे में मृदुला श्रीवास्तव की कहानियां उम्मीद जगाती हैं कि समाज एक न एक दिन जागरूक होगा।
विख्यात लेखक व स्तंभकार श्रीनिवास जोशी ने कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है कि कथाकार ने अपने पहले कहानी संग्रह से ही साहित्य जगत में अपनी जगह बना ली है। उन्होंने संग्रह में शामिल कहानी ” रेम्प वाक” को हिमाचल में इस विषय पर लिखी पहली कहानी बताया।
वरिष्ठ लेखिका एवं समीक्षक डॉ. ऊषा बांदे ने कथा संग्रह की कहानियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि” ब्रेन” और “खेस” नामक कहानियों में गहरी मानवीय संवेदनाएं पिरोई हुई हैं। वरिष्ठ कवि एवं समीक्षक आत्मा रंजन ने “काश! पंडोरी न होती” की कहानियों को तिरस्कृत जीवन की अन्तरकथाएँ बताया और कहा कि उनमें शोषित वर्गों के पक्ष में स्वर साफ सुनाई देते हैं।
लेखिका व समीक्षक कंचन शर्मा ने मृदुला श्रीवास्तव के कहानी संग्रह को अत्यंत पठनीय बताया।
विमोचन कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार एसआर हरनोट, तेजराम शर्मा, केआर भारती, सुदर्शन वशिष्ठ, राजेंद्र राजन, डॉ. देवकन्या ठाकुर, आरसी शर्मा, कुल राजीव पन्त, संजय ठाकुर, डॉ. कर्मसिंह, रतनचंद निर्झर और नाट्य निर्देशक केदार ठाकुर भी उपस्थित रहे।
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