हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़) : अगर शौचालय होता तो शायद आज 15 वर्षीय नन्हीं सी जान को इस दर्द से ना गुजरना पड़ता। उसे क्या पता था कि बस्ती में शौचालय न होने के कारण उसे इसकी इतनी बड़ी सजा भुगतनी पड़ेगी। ऐसी घटनाएं हमें फिर एक बार यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या सच में हमारा प्रदेश खुले में शौचमुक्त हो गया है या अभी कई ओर सुधार करने की आवश्यकता है।
नादौन में शुक्रवार को हुई इस घटना ने पूरे प्रदेश के सामने यह अहम सवाल फिर खड़ा कर दिया है। हकीकत यह है कि नादौन क्षेत्र मेंं अधिकांश भूमि मालिकों ने प्रवासी लोगों की अपनी जमीनों में झुग्गियों बनवाकर मोटी कमाई का साधन बना रखा है। निजी भूमि में ऐसी अधिकांश झौपड़-बस्तियों में भूमि मालिकों द्वारा इन मजदूर लोगों को मूलभूत सुविधाओं में शौचालयों की व्यवस्था के लिए मात्र औपचारिकताएं निभाई जाती है। जिसके इस वर्ग की खासकर महिलाएं खड्डों के किनारें शौच निवृति के लिए मजबूरन जाने के लिए बाध्य हो रही है। ऐसी अवस्था में उनकी इज्जत को तार-तार किए जाने के प्रयास किए जाते है।
गत शुक्रवार को नादौन के वार्ड नं. एक की नाबालिग लड़की से हुई दुष्कर्म की घटना भी इसी का परिणाम है। जहां भूमि मालिक द्वारा अपनी भूमि में लगाई गई झुग्गियों में इन लोगों के लिए समुचित शौचालयों की व्यवस्था नही की गई है। लोगों का कहना है कि अगर इस बस्ती में शौचालय की व्यवस्था होती तो 15 वर्षीय बालिका को मानखड्ड में मजबूरन शौच निवृति के लिए न जाना पड़ता और वह दुष्कर्म के घिनौने कार्य से बची रहती।
यही नही भूमि मालिकों ने ऐसी बस्तियों में विद्युत विभाग की आंखों में धूल झौंक कर मात्र एक ही मीटर से दर्जनों नंगे तार लगाकर इन झुग्गियों में कनेक्शन दे रखे है। जिसके चलते विद्युत नियमों की अवहेलना तो हो ही रही है, लेकिन यहां कोई भी करंट लगने की अप्रिय घटना घट सकती है। शौचालयों की निगरानी करना नगर-पंचायत का काम बनता है। इस घटना ने नगर-पंचायत की भी पोल खोल दी है।
वहीं विद्युत विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से बच नही सकता। नगर-पंचायत के स्वच्छता अभियान के प्रभारी रमन शर्मा से बात करने पर उन्होंने बताया कि शहर की समस्त झुग्गी-झौपड़ी के लिए जमीन मुहैया करवाने वालों को बार-बार हिदायत दी गई है कि वह उनके लिए शौचालय का निर्माण करवा कर दे।