राजगढ़ (एमबीएम न्यूज़) : यहॉ से से 50 किमी दूरी पर स्थित जालग घाटी पझौता में जिला भाषा अधिकारी सिरमौर अनिल हारटा ने 15 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते कहा कि आसरा संस्था संस्कृति संवर्धन एवं संरक्षण हेतु एक प्रशंसनीय कदम बढ़ाया है।
संस्था की सचिव हेमा तथा प्रवक्ता गोपाल ने यहॉ से जारी सॉझे बयान में कहा कि संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से प्राप्त परियोजना के अनुसार चार से 18 दिसम्बर तक संस्था द्वारा एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है इस कार्यशाला में रितुओं के आधार पर गाए जाने वाले गीतों नृत्यों, तालों ओर हारों बारों, साकों, पवाड़े आदि गीतों का भी सर्वेक्षण, शोध व प्रशिक्षण दिया जाएगा।
भरथरी का गहनता से विभिन्न क्षेत्रों की ऑचलिक वादियों के संगीत के रंग को भी खोजा जाना है।विशेष तौर पर सिरमौर के गिरिपार में प्रचलित भरथरी गायन ओर इस विलुप्त हो रही लोक गाथा पर गहराई से शोध प्रशिक्षण हेतु विद्यानन्द सरैक के दिशा-निर्देशन में कार्य संचालन शुरू किया गया है। भरथरी गायन की लोक संगीत की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण कार्यशाला में दिया जाना है। ताकि गायन में सुधार व मूल विधाओं को आकर्षण प्रदान किया जा सके।
ये पहला प्रयास होगा कि इन गाथा गीतों के साथ साथ भरथरी गायन को मंचीय आकर्षण प्रदान किया जा सके। कार्यशाला में शिमला व सिरमौर के विभिन्न ऑचलों के तीस से 45 कलाकार, जो मूल परम्परागत धार्मिक आस्था तथा द्रोड़ी पर्व के गायकों व गाथागीतों के जानकारों को लय ताल व काव्यात्मक की सही व्यवस्था के सुधार की जानकारी के साथ प्रषिक्षित किया जाएगा।
जिला भाषा अधिकारी सिरमौर अनिल हारटा ने कलाकारों द्वारा प्रस्तुति देने के पश्चात अपने संबोधन में कहा कि आसरा विभिन्न परियोजनाओं को सफलता से आकर्षण प्रदान कर चुकी है। जो लोक संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए प्रशंसनीय कार्य है। इस हेतु आसरा संस्था बधाई की प्राप्त है। जिला भाषा अधिकारी ने विद्यानन्द सरैक को पंजाब संस्कृति अकादेमी जालन्धर द्वारा सम्मानित किये जाने पर उन्हे ओर संस्था को बधाई दी।
आज के परिवेश में बेटी बचाओं देश बचाओं को लोक रंग मेें जनाकर्षण बनाना भी संस्था का सफल प्रयास है। हारटा ने अपनी ओर से इस सुन्दर कार्यक्रम की आज की प्रस्तुति के लिए जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से 5 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की।
सचिव आसरा हेमा ने कहा कि लिखित दस्तावेज विडियो ग्राफी सर्वेक्षण व शोध कार्य के पश्चात प्रशिक्षण कार्य तथा मंचीय प्रस्तुति लोक संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए कारगर कदम है। इन विलुप्त हो रही विधाओं को ये भूले बिसरे कलाकार भी अधिमान प्राप्त करेंगे, उन्होने कहा कि हम जिला भाषा अधिकारी व विभाग के धन्यवादी है ओर हम विश्वास दिलाते हैं।
इस परियोजना को सफलता से कार्यन्वयन किया जाएगा। इस अवसर पर पझौता क्षेत्र के युवा ओर महिला मण्डल ने भी इस आयोजन का लुत्फ उठाया।