मंडी (वी.कुमार) : विकास के नाम पर सरकारी धन का किस प्रकार से दुरूपयोग किया जाता है उसकी जीती जागती तस्वीर घरवासड़ा गांव की है । हैरानी होती है यह जानकर कि दस वर्ष पहले सिंचाई के लिए जो टैंक बना था आज दिन तक उससे खेतों को पानी की एक बूंद तक नहीं मिली।
मंडी जिला के सरकाघाट उपमंडल के घरवासड़ा गांव में दस वर्ष पहले सरकार ने एक वाटर टैंक का निर्माण करवाया। टैंक का निर्माण इस उद्देश्य से करवाया गया ताकि ग्रामीणों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिल सके, लेकिन दस वर्षों में खेतों को पानी देना तो दूर उल्टा टैंक में भी कभी पानी की एक बूंद तक नहीं गिरी। यहां पर जो प्राकृतिक जल स्त्रोत है उसका पानी इस टैंक में जाना था, लेकिन निर्माताओं ने ऐसे निर्माण की आधारशिला रखी कि टैंक खुद की पानी के लिए तरस गया। पानी का स्त्रोत काफी नीचे है जबकि टैंक काफी उपर और यही कारण है कि टैंक में आज दिन तक पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी।
अगर टैंक का निर्माण सही ढंग से किया गया होता तो सूखे के इस दौर में ग्रामीणों को इसका लाभ मिलता। खेतों में हरियाली छाई होती, लेकिन नजारा बता रहा है कि खेत किस प्रकार से पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। दस वर्ष पहले टैंक के निर्माण पर डेढ लाख रूपए खर्च किए गए जो आज इस बात को दर्शा रहे हैं कि सरकारी धन की लीपापोथी किस प्रकार से की जाती है। मजेदार बात यह भी है कि सिंचाई के टैंक को पूरी तरह से बंद किया गया है। निर्माताओं ने बारिश का पानी भी टैंक में जाने की कोई गुंजाईश नहीं छोड़ी। यही कारण है कि ग्रामीण आज फिर से इस टैंक के पुर्ननिर्माण की मांग उठा रहे हैं।
यह किसी एक ही टैंक की कहानी नहीं, ऐसे कई टैंक हैं मंडी जिला में जिन्हें बनाने के नाम पर बना तो दिया गया है लेकिन ग्रामीणों को उनका कोई लाभ नहीं मिलता। यानी कहा जा सकता है कि सरकारी धन का दुरूपयोग करने और कागजों पर विकास को दर्शाने के लिए यह नमूना काफी है।