सुना है-
अबके बरस यह देश बदलेगा
बेईमानी सर झुकाएगी
महंगाई भाग जाएगी
भूखा न सुलाएगी
कोई मां अपने बच्चे को
गरीबी दूर होगी
और माहौल बदलेगा।।
अबके बरस यह देश बदलेगा
बेईमानी सर झुकाएगी
महंगाई भाग जाएगी
भूखा न सुलाएगी
कोई मां अपने बच्चे को
गरीबी दूर होगी
और माहौल बदलेगा।।
सुना है-
भ्रष्टाचार सिर न उठाएगा
न आतंकवाद फन फैलाएगा
न होगी कलह घर-घर में
न अविश्वास कोई जताएगा
झूठ का अंत होगा
और सत्य मुस्कुराएगा।।
सुना है-
न लुटेगी नारी की
अस्मिता अबके बरस
न सिक्कों में तोली जाएगी
कीमत रिश्तों की
दु:ख का कोहरा छंटेगा
और
सुख का सूरज मुस्कुराएगा।।
सुना है-
न देगा नेता
भाषण आश्वासन भरा,
न ऊंच-नीच
कोई जताएगा,
न बहेगा खून सड़कों पर
न मजहब के नाम पर
कोई फसाद भड़केगा
धर्म की विसंगतियां
दूर होंगी और
मानवता पंख पसारेगी।।
न देगा नेता
भाषण आश्वासन भरा,
न ऊंच-नीच
कोई जताएगा,
न बहेगा खून सड़कों पर
न मजहब के नाम पर
कोई फसाद भड़केगा
धर्म की विसंगतियां
दूर होंगी और
मानवता पंख पसारेगी।।
सुना है-
अबके बरस यह देश बदलेगा।।
अबके बरस यह देश बदलेगा।।
पंकज तन्हा
काव्य संग्रह- शब्द तलवार है