मंडी (वी कुमार) : आपको शायद याद होगा, इसी जनपद में एक मां अपने बच्चों को बचाने की खातिर ब्यास में कूद गई थी। निजी बस में घर लौट रही थी। बस नदी में लुढक गई। जान की परवाह किए बगैर इस मां ने अपने लाडले बच्चों का जीवन बचाने के लिए कतई भी देरी नहीं की थी। अब इसी जिला के सराज क्षेत्र की घाट पंचायत के पाली गांव की कमला देवी एक कदम आगे निकल गई है।
पेड़ की ओट में बर्फ के बीच कुछ देर रुककर नवजात को स्तनपान करवाती कमला।एक सप्ताह पहले दुर्गम गांव में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। एक बच्चे की तबीयत बिगडऩे लगी तो कमला ने बर्फ का समन्दर पार कर 22 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करने का फैसला ले लिया। कहते हैं, जब इरादे मजबूत हों तो कायनात भी झुककर सलाम करती है। ऐसा ही कमला देवी के साथ हुआ। देर शाम अस्पताल पहुंच गई।
सोचिए जरा, एक महिला जिसका एक सप्ताह पहले ही प्रसव हुआ हो। साथ ही जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया हो, ऐसे हालात में पैदल चले तो इसे अदम्य साहस नहीं कहेंगे तो ओर क्या। मां की ममता की जिद ने बर्फीले पहाड़ को काटकर रख दिया। कुल्लू-मंडी की सीमा पर स्थित सराजघाटी को बर्फबारी सिवाए दर्द के कुछ नहीं दे रही।
बर्फ से ढकी सराज घाटी।इस बात की कल्पना कोई नहीं कर सकता कि एक महिला बीमार बच्चे को लेकर कैसे बर्फ के समन्दर पर पैदल चलकर उस वक्त पहुंची, जब तापमान भी शून्य से नीचे आ गया था। गोदी में नवजात बच्चों को ठंड के प्रकोप से बचाने की कोशिश भी थी। 10 जनवरी को बेली राम की पत्नी कमला देवी ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। सोमवार को एक बच्चे की तबीयत खराब होने लगी तो स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गाडा गूशैनी ले गए। यहां से बच्चे को मंडी रैफर किया गया।
परिवार के सदस्यों द्वारा उठाए गए जुड़वां शिशु।छह घंटे के पैदल सफर के बाद बाहू नामक जगह पर निजी वाहन उपलब्ध हो गया। देर शाम बच्चे का उपचार शुरू हुआ, लेकिन यहां से आईजीएमसी शिमला रैफर कर दिया गया। बताते हैं कि बर्फ ने समूचे जन जीवन को अस्त-व्यस्त करके रख दिया है। पालकी के सहारे भी मरीजों को स्वास्थ्य संस्थानों तक पहुंचाया जा रहा है।
सराजघाटी की दुर्गमघाटी की चार पंचायतों थाचाधार, घाट, खौली व बगडाथाच में लगभग पांच हजार की आबादी है। बर्फबारी से संचार, बिजली व स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हैं।