पांवटा साहिब (एमबीएम न्यूज): बहराल स्कूल के नजदीक गेहूं के खेत में हाथी की संदिग्ध मौत हो गई है। इससे इलाके में हडकंप मच गया है। माना जा रहा है कि गजराज की इस तरीके से प्रदेश में पहली मौत हुई है। शुरूआती छानबीन में पता चला है कि उत्तराखंड के राजा जी नेशनल पार्क की तरफ से गजराज ने प्रदेश की सीमा में प्रवेश किया। इसके बाद खेत में जमकर गेहूं का सेवन किया।
मौके पर मिले साक्ष्यों के मुताबिक मौत से पहले गजराज काफी तड़पे। यही माना जा रहा है कि कीटनाशक दवाओं को गेहूं में छिडक़ा गया होगा। अधिक सेवन के कारण घमेर बनने पर प्वाइजनिंग की वजह से मौत हुई है। मौके पर ही हाथी का शव पड़ा हुआ है, क्योंकि इसे यहां से हटाना बेहद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसका वजन तीन क्विंटल के आसपास हो सकता है। गजराज का शव, कोंच वैली की तरफ खेत में पड़ा हुआ है। आसपास लोगों का काफी हजूम जमा हो गया है।
बताया जा रहा है कि गजराज का मौके पर ही पोस्टमार्टम किया जाएगा। यह बात भी स्पष्ट हुई है कि मरने वाले हाथी ने बीती रात ही यमुनानदी को पार किया था, क्योंकि शरीर पर नदी पार करने के निशान भी मिले हैं। करीब 10 साल से हाथियों का सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क की तरफ आना-जाना रहा है। यहां तक की एक हाथी स्थाई तौर पर नेशनल पार्क में रह भी रहा है। एक मर्तबा जंगली हाथी नाहन के समीप भी पहुंच गया था। यह भी स्पष्ट हो गया है कि मरने वाला हाथी वो नहीं है, जो पहले से ही नेशनल पार्क में रह रहा है।
उधर सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क के रेंजर राम कुमार वर्मा ने हाथी की संदिग्ध मौत की पुष्टि की है। वर्मा ने कहा कि माजरा रेंज इस मामले में कार्रवाई कर रही है। पोस्टमार्टम के लिए चिकित्सकों से संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने माना कि मरने वाले हाथी का वजन तीन क्विंटल के आसपास हो सकता है, लिहाजा उसे यहां से नहीं हटाया जा सकता।
उधर वाइल्ड लाइफ वार्डर व हिमफैड अध्यक्ष कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि मृतक हाथी की उम्र 45 साल के आसपास हो सकती है। उन्होंने बताया कि तकरीबन 100 साल पहले भी मालोंवाला में एक हाथी का शव मिला था, जिसके बारे में बताया जाता है कि उसका दांत 9 फुट लंबा था।