नाहन (शैलेंद्र कालरा) : करीब तीन क्विंटल वजनी गजराज की मौत रहस्य बन गई है। यह बात समझ से परे है, चंद किलो गेहूं खाकर गजराज की मौत कैसे हो सकती थी। अगर गेहूं की फसल पर इतना भयंकर कीटनाशक छिडक़ा गया था कि गजराज ने चंद कोंपले खाने पर मौत को बुला लिया तो इंसान का हश्र क्या हो सकता था। गजराज के उत्पात से किसान परेशान थे, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है।
शंका केवल ओर केवल यही है, कहीं जानबूझ कर गजराज को मौत तो नहीं दी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से आंशिक तौर पर मिस्ट्री बेपर्दा हो सकती है, लेकिन बड़ी समस्या यही है कि यहां पशु चिकित्सकों ने पहले कभी जंगली हाथी का पोस्टमार्टम नहीं किया। साथ ही पुलिस का ही तफ्तीश में पहला ही अनुभव है। जंगली सूअरों व अन्य उत्पाती जानवरों को आटे के पेडे में विस्फोटक दिए जाने के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं।
उत्तराखंड के राजा जी नेशनल पार्क की तरफ से हाथियों के झुंड आने का सिलसिला करीब 11 साल पहले शुरू हुआ था। यहां तक की उत्तराखंड, हिमाचल व हरियाणा ने हाथियों के गलियारे को बनाने पर भी सहमति जताई थी। यह प्रोजैक्ट सिरे नहीं चढ़ पाया। सिरमौर के सिंबलवाड़ा नेशनल पार्क के साथ-साथ हरियाणा की कलेसर सेंचुरी में भी गजराज धमकते रहे हैं। यमुना नदी को पार कर गजराज के यहां आने पर दोनों राज्यों का वन्यप्राणी विभाग चहकता रहा है।
लिहाजा इस तरीके से गजराज की मौत से वन्यप्राणी प्रेमियों में मायूसी भी है। वाइल्ड लाइफ वार्डर व हिमफैड अध्यक्ष कंवर अजय बहादुर सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कुछ मात्रा में गेहूं खाने से हाथी की मौत संदेह पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि सही तरीके से जांच होनी चाहिए।
ऐसा भी जा रहा है माना….
करीब 10 साल पहले एक गजराज भी नाहन के नजदीक पहुंच गए थे। मोगीनंद के नजदीक फैक्टरी की दिवार ध्वस्त कर दी। वापसी में सुबह हो गई, लिहाजा शंभूवाला के नजदीक पापुलर के पेड़ों की ओट में शरण ले ली। चारों तरफ हजूम उमड़ गया था। विशेष ऑपरेशन चला कर रात के वक्त हाथी को खदेड़ा गया था। दीगर है कि हाथी रात के वक्त ही चलते हैं। सूरज की एक किरण फूटने पर ही आगे नहीं बढ़ते।
ऐसा माना जा रहा है कि उसी हाथी की मौत हुई है, जो 10 साल पहले नाहन के करीब पहुंच गए थे। वन्यप्राणी विशेषज्ञ कंवर अजय बहादुर सिंह का कहना है कि उन्होंने नाहन के नजदीक आए गजराज को काफी करीब से देखा था। काफी हद तक लग रहा है कि मरने वाला हाथी भी वही है।
देहरादून से आएंगे विशेषज्ञ…
गजराज की मौत संदिग्ध हो जाने से कोई जोखिम नहीं उठाया जा रहा। लिहाजा पोस्टमार्टम के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट देहरादून से टीम को मौके पर बुलाया गया है। सुबह 9 बजे के आसपास टीम के पहुंचने की संभावना है। रात को वन्यप्राणी विभाग की चार सदस्यीय टीम गजराज के शव की पहरेदारी करेगी। आरओ राम कुमार वर्मा ने कहा कि स्थानीय स्तर पर हाथी के पोस्टमार्टम का अनुभव नहीं है, लिहाजा विभाग के मुख्यालय के स्तर पर देहरादून से टीम बुलाई गई है।