शिमला (प्रदीप राही): कडक़ती ठंड में बेघर लोगों के आंसू पोंछने खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह आज तांगणू गांव पहुंचे। सीएम को कोई जल्दबाजी नहीं थी, न ही कोई राजनीतिक मकसद। केवल अपना सबकुछ गंवा चुके तांगणू गांववासियों का दुख सांझा करना ही उद्देश्य था।
तांगणू गांव पहुंचे सीएम लोगों से बातचीत करते हुए। इनसैट में गांव में शेष बचा मंदिर।डीसी रोहण ठाकुर से हरेक पीडि़त के दर्द के बारे में मौके पर ही जानकारी ली। साथ ही मौके पर ही उनका निपटारा करने के निर्देश भी दिए। हालांकि तांगणू गांव में धूप थी, लेकिन चारों तरफ कई फुट ऊंची बर्फ की चादर बिछी हुई थी।
सीएम ने कहा कि प्रभावितों के पुनर्वास को लेकर कोई कसर नहीं रखी जाएगी। नए घर बनाकर दिए जाएंगे। गांव को संपर्क मार्ग से जोड़ा जाएगा। समुदाायिक केंद्र व महिला मंडल भवन बनेंगे। साथ ही चिडगांव में फायर स्टेशन भी खोला जाएगा।
सनद रहे कि हाल ही में उपायुक्त रोहण ठाकुर ने भी गांव का जायजा लिया था। कड़ाके की ठंड में अग्रिपीडि़तों को आसपास घरों में आश्रय लेना पड़ रहा है। सरकारी भवन भी आश्रयस्थल बने हैं। मकर सक्रांति की रात को 70 परिवारों ने अपना सबकुछ आग में खो दिया था। 10 दिन बाद भी स्थिति सामान्य नहीं है। अपनी व्यथा सुनाते-सुनाते लोगों की आंखों से आज भी आंसू बहने लगते हैं।
सोमवार को मुख्यमंत्री के सामने भी कुछ महिलाओं के आंसू झलक आए। कुदरत ने एक दिन पहले आग से सबकुछ छीन लिया। दूसरे दिन बर्फबारी से इलाके में कंपकंपाती ठंड पैदा कर दी। दुख कम होने की बजाय बढ़ता ही रहा। कुल मिलाकर 10 दिन बाद राख ठंडी हो चुकी है, लेकिन दुख जस का तस है।
पीडि़तों को नहीं लगे, सीएम मसीहा से कम
करीब 10 दिन से बेघर इधर-उधर की ठोंकरे खा रही पीडि़त आज अपने बीच मुख्यमंत्री को पाकर सुकून महसूस कर रहे थे। हरेक पीडि़त को लेकर की मसीहा उनके बीच है। सीएम भी इस बात को बखूबी समझ रहे थे, लिहाजा हर बात को ध्यान से सुनकर मौके पर ही निर्देश भी देते नजर आए। सीएम ने पीडि़तों को बताया कि वह कांगड़ा प्रवास पर थे। लौटते ही उनके बीच पहुंच गए हैं। सनद रहे कि पीडि़तों के घर इन्दिरा आवास योजना के तहत बनाए जाने का भी प्रशासन सैद्धांतिक फैसला ले चुका है।