नाहन (शैलेंद्र कालरा) : राज्य सरकार के Handsome शहरी विकास व आवासीय मंत्री सुधीर शर्मा पहली बार सिरमौर के दीदार करने जा रहे हैं। संभव है कि पहले भी सुधीर शर्मा सिरमौर आए हों, लेकिन बतौर कैबिनेट मंत्री सिरमौर में पहली बार आ रहे हैं। 26 जनवरी को जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने का कार्यक्रम बना है।
इससे पहले स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में भी आने का कार्यक्रम बना था, लेकिन इसमें फेरबदल कर दिया गया था। सवाल यह नहीं है कि मंत्री महोदय क्यों नहीं आए, लेकिन यह बात स्पष्ट है कि किसी भी विभाग के मंत्री के आने से संबंधित जिला में महकमे की गतिविधियां रफ्तार पकड़ती हैं। अब भी संशय है कि कहीं आखिर में कार्यक्रम न बदल जाए।
सिरमौर में ट्रांसपोर्ट मंत्री जीएस बाली, स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह के अलावा सामाजिक अधिकारिता मंत्री डॉ. कर्नल धनीराम शांडिल ने ही अधिक रूचि दिखाई। इस सूची में कुछ हद तक आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स का नाम भी शामिल किया जा सकता है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कहते रहे हैं कि मंत्रियों व मुख्य संसदीय सचिवों के साथ-साथ अफसरशाही को ग्रासरूट पर जाकर लोगों से मिलना चाहिए।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि मंत्री महोदय ने अपनी सिटी धर्मशाला के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन मंत्री महोदय को इस बात को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए था कि उनका विभाग केवल अपनी सिटी तक ही सीमित नहीं है। जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का एक शिष्टाचार होता है। शायद इसी के चलते सार्वजनिक मंच से कोई घोषणा भी न कर पाएं। मजेदार बात यह है कि नाहन नगर परिषद देश की दूसरे नंबर का सबसे पुराना शहरी निकाय है। इसके नाते भी मंत्री जी आ सकते थे।
बुधवार को जिला स्तरीय कार्यक्रम के आयोजन को लेकर बैठक आयोजित की गई। इसके बाद बतौर मुख्यातिथि सुधीर शर्मा के आने की प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई। कुल मिलाकर अब देखना यह है कि शिष्टाचार के कार्यक्रम के बाद या फिर पहले मंत्री जी सिरमौर को अपने पहले प्रवास में क्या सौगात दे पाते हैं।
संभवत: यह प्रवास पहला व आखिरी भी हो सकता है, क्योंकि चुनावी साल शुरू हो चुका है। चार साल तक जब मंत्री महोदय अपने निर्वाचन क्षेत्र तक ही सिमटे रहे तो चुनावी वर्ष में कैसे दोबारा आ पाएंगे। दीगर है कि सरकार के मंत्रियों में शहरी विकास व आवासीय मंत्री सुधीर शर्मा को सबसे हैंडसम समझा जाता है। इस समय शिलाई नगर परिषद का मुद्दा ही एकमात्र है, जो सरकार के पाले में है।