शिमला (एमबीएम न्यूज): राज्य सरकार ने 2017-18 के बजट में हरेक वर्ग की दुखती रग पर हाथ रखने की कोशिश की है। पिछले वर्ष के बजट में उद्योगों का प्रवेश शुल्क दो से घटाकर एक प्रतिशत किया गया था तथा नए उद्योगों का शुल्क आधा प्रतिशत तय हुआ था। अब वर्तमान में स्थापित उद्योगों का प्रवेश शुल्क भी आधा प्रतिशत कर दिया गया है। लोहा, स्टील व प्लास्टिक के कच्चे माल तथा निर्मित माल पर अतिरिक्त वस्तु कर लगता था।
अब सरकार ने अतिरिक्त वस्तु कर (AGT) में समुचित कमी करने का फैसला लिया है। एकमुश्त कर योजना के दायरे को 30 लाख से बढ़ाकर 40 लाख किया गया है। इससे पहले 30 लाख तक का कारोबार करने वाले छोटे कारोबारी एक प्रतिशत की दर से देय एकमुश्त योजना के दायरे में आते थे। सरकार ने उद्योगों को समयबद्ध वैट विवरणी सुनिश्चित करने के लिए प्रणालियों का सरलीकरण करने का फैसला लिया है।
100 करोड़ से अधिक का कारोबारी करने वाली बड़ी इकाईयों को समुचित सुविधा प्रदान करने के मकसद से उप आबकारी व कराधान आयुक्त के अधीन व्यापक करदाता इकाई प्रस्तावित की गई है। डीम्ड असस्मेंट योजना की तरफ उदार कर में पौने दो करोड़ का वार्षिक कारोबार करने वाले डीलरों को लाया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिक प्रणाली द्वारा डीम्ड असस्मेंट के दायरे में चयनित डीलरों का चयन 60 दिन के भीतर हो जाएगा।
प्रदेश में वैट अधिनियम 2005 में बहुत से मामले कर निर्धारण हेतु अनिर्णित पड़े हैं। इसके लिए दो करोड़ का कारोबार करने वाले डीलरों को स्वत बनाया गया है।