शिमला (एमबीएम न्यूज़) : भोरंज उपचुनाव के नतीजे पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू के बयान से ऐसा लगता है कि उन्होंने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को निशाना बनाया है, जिसमें मुख्यमंत्री ने भोरंज उपचुनाव में हार के लिए पार्टी की निष्क्रियता को जिम्मेवार ठहराया है।
वैसे तो जिला हमीरपुर के भोरंज क्षेत्र के उपचुनाव का परिणाम पहले से ही सर्वविदित था, क्योंकि कांग्रेसी मानते हैं कि इस चुनाव को जीतना मुश्किल है, जो पिछले लगातार छह बार भाजपा के पक्ष में गया है, जिससे दिवंगत विधायक व पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान जीतते रहे हैं। ये और बात है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
क्षेत्र के सतारूढ दल के नेताओं ने भी खूब प्रचार किया, पार्टी अध्यक्ष व मंत्री भी गए, भले ही उनके लिए प्रचार अभियान एक औपचारिकता ही रही हो, क्योंकि पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने वालों के मन में कहीं न कहीं हार का भय सता रहा था। लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हार का ठीकरा पार्टी की स्थिलता बताया। जिसक्री प्रतिक्रिया में सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि पार्टी यदि जीतती है, तो श्रेय केवल वीरभद्र सिंह को जाता है और यदि हारती है, तो इसका उत्तरदायित्व सामुहिक तौर पर पार्टी को दिया जाता है।
ये सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुक्खू के संबंध शुरू से ही नरम और गरम रहे हैं। यह पहली बार नहीं कि सुक्खू तथा वीरभद्र सिंह ने एक-दूसरे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी हो। वास्तव में कांग्रेस का एक गुट यह चाहता है कि जितनी जल्दी हो सके, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की छुटटी हो जाए, ताकि पार्टी के टिकट अलाटमेंट में उनकी दखलअंदाजी कम हो और टिकटों की अलाटमेंट वीरभद्र सिंह की ईच्छा से हो।
उधर, सुक्खू यदा-कदा प्रदेश की राजनीति की फीडबैक हाईकमान के सम्मुख देते रहते हैं और भोरंज के हार की रिपोर्ट भी उन्होंने हाईकमान को दे दी है। कांग्रेस हाईकमान यह भी जानती है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का कद प्रदेश की राजनीति में कितना उंचा है और उनकी किसी भी स्तर पर अनदेखी पार्टी के लिए हानिकारक हो सकती है। इधर, कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सुक्खू को इस समय बदला जाना काफी मुश्किल है और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए इतना उत्सुक नहीं है।