शिमला (एमबीएम न्यूज): पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खु के बीच जो वाकयुद्व चल रहा है और आपसी बयानबाजी हो रही है, वह पार्टी कैडर में एक चर्चा का विषय बन गई है। पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री तथा प्रदेश कांग्र्रेस अध्यक्ष के बीच सचिवालय में मुख्यमंत्री कक्षा में जो मुलाकात हुई थी, उसके बाद ऐसा अनुभव होने लगा था कि अब इस वाकयुद्व का सीज फायर हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ लगता है।
सताधारी गुट की यह मांग है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को चुनाव से पहले बदल दिया जाए। वैसे तो सदन के नेता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अतिरिक्त किसी के मुखारविंद से सार्वजनिक रूप से सुक्खू को हटाने की मांग नहीं आई, चाहे वह मुख्यमंत्री का इस मुददे पर समर्थन ही करते हों।
एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री तथा उनके समर्थक दो दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिले थे और उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को विधानसभा चुनाव से पहले बदलने की मांग की। शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा और आबकारी मंत्री प्रकाश चौधरी में से किसी एक को हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने को कहा है। लेकिन मुख्यमंत्री ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है।
यह तो सत्य है कि मुख्यमंत्री ने कई बार प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व में परिवर्तन करने की ओर संकेत दिए और उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले संगठन में अनुशासन तथा पार्टी को सशक्त करना बहुत जरूरी है।
उधर, सुक्खू भी अपने को बदलने की मांग पर खुलकर बोले और कहा कि पार्टी हाईकमान एक ईमानदार अध्यक्ष को क्यों बदलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ तत्व प्रदेश के नेतृत्व में भी बदलाव करने की मांग कर रहे हैं।
दोनों कांग्रेसी नेताओं के बीच चल रहा संघर्ष विधानसभा चुनाव में क्या रंग लाएगा, यह कहना मुश्किल है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव पूर्व दोनों नेता यह भी चाहते हैं कि पार्टी टिकटों के आबंटन में उनकी अधिक पूछ हो और उनके समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट मिले।
एक समय यह भी रहा जब प्रदेश कांग्रेस मामलों को वीरभद्र सिंह अपने बलबूते पर चलाते थे और वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी थे। यह भी सभी जानते हैं कि वीरभद्र सिंह का कांग्रेस पार्टी में कद सबसे उंचा है और यह स्वभाविक है कि यदि उनकी छत्रछाया में बड़े हुए कांग्रेसी नेता जब उनके नेतृत्व को चुनौती देंगे, तो उनमें प्रतिक्रिया होनी स्वभाविक है। भले ही आज प्रदेश कांग्रेस की परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं।