सोलन (एमबीएम न्यूज़) : संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रो. मनसाराम शर्मा अरुण को हिमाचल प्रदेश सरकार संस्कृत अकादमी शिमला ने उनकी 35 वर्षीय संस्कृत प्राध्यापक के रूप में सरकारी सेवा तथा सेवानिवृति के पश्चात आज तक संस्कृत के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट सेवाएं देने के लिए संस्कृत मनीषी सम्मान से अलंकृत किया है। सोलन में हुए इस सम्मान समरोह में कई संस्थाओं तथा साहित्यकारों ने भाग लिया।
आयोजित सादे एवं गरिमापूर्ण समारोह में प्रो. मनसाराम शर्मा अरुण को भाषा एवं संस्कृति विभाग सोलन, सरस्वती साहित्यिक एवं कला मंच सोलन सहित अन्य सामाजिक संस्थाओं व साहित्यकारों ने इन्हें संस्कृत गौरव पुरस्कार प्रशस्ति से सम्मानित किया। संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. मस्तराम शर्मा ने समारोह में बतौर मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। जबकि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित संस्कृत विद्वान प्रो. केशवराम शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
इस मौके पर जिला भाषा अधिकारी सोलन भीम सिंह चौहान ने समारोह में उपस्थित प्रबुद्धजनों का भव्य स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने प्रो.मनसाराम शर्मा अरुण द्वारा संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं सवंद्र्धन में दिए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रो. मनसाराम शर्मा अरुण ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार में निरंतर कार्य किया है। उम्र के आखिरी पड़ाव से गुजर रहे प्रो.मनसाराम शर्मा अरुण आज भी प्रतिदिन कई घंटों संस्कृत भाषा के संरक्षण को देते हैं।
संस्कृत के प्रति उनका समर्पण अद्भुत है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज भी संस्कृत विद्वान प्रोफेसर मनसाराम शर्मा अरुण पैंशन का एक बहुत बड़ा हिस्सा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर खर्च करते हैं। संस्कृत के प्रति ऐसा समर्पण रखने वाले बिरले ही व्यक्ति मिलते हैं। मंच का संचालन डा. प्रेमलाल गौत्तम ने किया। उन्होंने प्रो. मनसाराम शर्मा अरुण की प्रशस्तियों को पढ़ाव संस्कृत भाषा के संरक्षण तथा संवद्र्धन में उनके योगदान को अभूत पूर्व करार देते हुए इसकी सराहना की।
उल्लेखनीय है कि संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रो.मनसाराम शर्मा अरुण ने देवांगना, सदियां रे मोड, युगबंधु, भाषा गणना भूगोल, स्तरीकृत प्रथम, शब्दकोष,पंचाध्यायी व्याकरण, भवानी शिला शताब्दियों के मोड़ आठ मौलिक प्रकाशित रचनाएं हैं। दैनिक साप्ताहिक, मासिक तीन हस्त लिखित पत्रिका, हिमांशु, सोमभद्रा तथा ऋतंभरा पत्रिकाओं का सुधी संपदान किया है। षट्वर्ण लिपि तथा स्वर्णीम आयात सिद्धांत इनके दो नवीन अनुसंधान है।
इस मौके पर श्री सनातन धर्म सभा रबौण के प्रधान डा. शंकर वासिष्ठ, प्रो. केशव शर्मा,डा. रामदत्त शर्मा, केआर कश्यप, डा.रामचंद्र नड्डा, सही राम आर्य, सुनीता शर्मा, सीडी उप्रेति, हेमंत भार्गव, संजीव अरोड़ा आदि ने भी प्रो. मनसाराम शर्मा अरुण के व्यक्तित्व और संस्कृत भाषा के प्रति समर्पण भाव की भूरि-भूरि प्रशंसा की। राज्य संस्कृत भाषा सुधार एवं प्रशिक्षण परिषद की सचिव सीमा शर्मा ने समारोह में आए सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।