शिमला (एमबीएम न्यूज़) : मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के लिए अफसरशाही में चल रही लॉबिंग पर विराम लगाने के लिए सरकार कोई नया फैसला ले सकती है। इसमें किसी ऐसे चेहरे को आगे लाने की तैयारी है, जिससे इस पूरी सियासत पर विराम लगा सके। राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की तरह मुख्य सूचना आयुक्त का चयन भी हैरानी भरा हो सकता है।
मुख्य सूचना आयुक्त का पद पिछले साल भीमसेन का कार्यकाल पूरा होने के बाद से खाली चल रहा है। नए सीआईसी की नियुक्ति को लेकर 15 दिन पहले तीन सदस्यीय चयन कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स तथा विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल शामिल हैं, तब कमेटी ने इस पद के लिए आवेदन करने की तारीख 15 दिन और बढ़ाने का फैसला लिया था। पिछले 15 दिनों में उंचे ओहदों पर हर चुके 50 सेवामुक्त अधिकारियों के प्रार्थना पत्र इस पद के लिए प्राप्त हुए हैं।
राज्य सरकार के लिए इस आवेदनकता सूची से पात्र आवेदकों के चयन करने की प्रक्रिया एक टेडी खीर होगी, क्योंकि इनमें से अधिकतर हिमाचल प्रदेश के सेवामुक्त हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी तथा सेवारत अधिकारी व हिमाचल कैडर के आईएएस अधिकारी जो भारत सरकार में सचिव पद से सेवानिवृत हुए हैं, शामिल हैं।
राज्य लोक सेवा आयोग की चयन प्रक्रिया मुख्य रूप से मुख्यमंत्री के उपर ही निर्भर करती है, जबकि मुख्य सूचना आयुक्त का पद एक संवैधानिक पद है तथा इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन जरूरी होता है, जिसका एक सदस्य विपक्ष का नेता होता है।
समझा जाता है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग नरेंद्र चौहान के अलावा भारत सरकार से सचिव पद से सेवा मुक्त हुए पूर्व आईएएस अशोक ठाकुर और रवि जैन भी इस पद की दौड़ में हैं। इनके अतिरिक्त लोकसेवा आयोग से सेवामुक्त हुए अध्यक्ष केएस तोमर भी अपना दावा जता रहे हैं और प्रशासक क्षेत्रों में उनको बड़ा प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। हालांकि केएस तोमर आयोग के पद से सेवानिवृत होने के बाद मुख्य सूचना अधिकारी के पद के लिए पात्र हैं या नहीं, इस बारे में अभी भ्रम की स्थिति है।
मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 191 सेवानिवृत्त व मौजूदा अधिकारी आवेदन कर चुके हैं। इनमें आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आईईएस और शिक्षाविदों के साथ-साथ ऊंचे ओहदों पर रह चुके कई अधिकारी शामिल हैं।