हमीरपुर(एमबीएम न्यूज): कहते हैं कि ऊंची उड़ान पंखों से नहीं हौसलों से होती है और इन हौसलों को अगर जुनून की हवा का साथ मिल जाए तो फिर बात ही क्या। कुछ ऐसा ही जज्बे और जुनून की पूंजी है ज़िला की एक ऐसी डाक्टर जो गरीबों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। देश और दुनिया में फिजियोथैरिपी के डॉक्टर तो बहुत हैं, लेकिन इनमें कुछ ही ऐसे हैं, जिनका दिल बहुत बड़ा है और उसमें गरीबों के लिए बेशुमार जगह है। जिला की रहने वाली अक्षिता चंदेल एक ऐसी ही शख्सियत है, जिनके बारे में हर किसी को जानना चाहिए। वे गरीबों के दु:ख दर्द को अपना दु:ख दर्द मानती हैं।
फिजियोथैरिपी की विशेषज्ञ अंक्षिता चंदेल का जन्म जिला हमीरपुर में 25 सिंतबर 1989 को हुआ था। 27 वर्षीय इस डाक्टर ने अपने व्यक्तित्व को अलग पहचान देते हुए हर मरीज को अपने परिवार के सदस्य की तरह समझा। वे अपने जीते जी बीमारियों के इलाज को इतना सस्ता बना देना चाहते हैं कि गरीबों में सबसे गरीब इंसान भी आसानी से इलाज करवा सके।
अक्षिता चंदेल डॉक्टरी पेशे से बेइंतिहा मोहब्बत करती हैं। वर्तमान समय में डा. अक्षिता चंदेल लोगों की फिजियोथैरिपी की रिसर्च कर ही है। वह गांवों में जाकर यहां के रहन-सहन व लोगों की इस थैरिपी के बारे में जागरूक करने का कार्य भी करती हैं। उनके दिल को ये बात भी बहुत ठेस पहुंचाती है कि डॉक्टरी पेशे का भी व्यवसायीकरण हो गया है। अपने दिलो दिमाग को समाज सेवा के प्रति संकल्पनिष्ट बनाये रखने में उन्हें अपने माता-पिता से मिले अच्छे संस्कार ही सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
जिंदगी से जुडे कुछ पहलू….
डा. अक्षिता चंदेल हमेशा से ही हर मरीज को एक परिवार के सदस्य की तरह देखती है। अस्पताल से लेकर पूरे 1 वर्ष तक उस मरीज का पूरा आकलन करना इस युवा डाक्टर की जिम्मेदारी है। यहीं नहीं अगर मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज भी हो जाए तो भी कई महीनों तक उस मरीज के घर जाकर उसकी मेडिकल रिपोर्ट पर नजर रखना डा. अक्षिता अपना कर्तत्व मानती है।
गरीब मरीजो के लिए अलग जगह…
डा. अक्षिता चंदेल के दिल में ग्रामीण क्षेत्र से संबंध रखने वाले मरीजों के लिए अलग जगह है। अगर मरीज अस्पताल आने में असमर्थ है तो वह उनके गांव जाकर ही उनका इलाज करती है। चाहे उसके लिए उन्हें महीने में कई चक्कर क्यों न काटने पड़े।
फोन की घंटी बजते ही निकल जाती डॉ साहिबा….
शहर के फिजियोथैरिपीस्टि डॉ. अक्षिता चंदेल न सिर्फ फ्री इलाज करती हैं, बल्कि रात- बिरात में भी फोन की घंटी बजते ही निकल जाती हैं। जिसके कारण समाज में वह काफी लोकप्रिय हैं। दिनभर मरीजों की सेवा में जुटे रहती हैं। इसके लिए वह समाजिक संस्थाओं की मदद से राज्य के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर मरीजों की जांच व जागरूक करना उनका दिनचर्या में शामिल हो चुका है। इतना ही नहीं वह मरीजों को फ्री दवाएं भी देती है।
जब संध्या में वह घर पहुंचती है तो वहां पर भी मरीज पहुंचे रहते है। डॉ अक्षिता चंदेल के घर से कोई नाराज नहीं जाता। कारण कि वह कभी भी किसी व्यक्ति से फीस नहीं मांगते। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को तो वह दवा भी फ्री देती है।