शिमला (एमबीएम न्यूज): गुडिय़ा प्रकरण में बुधवार को कोटखाई थाना में आग लगा दी गई। साथ ही थाने से कई किलोमीटर दूर पार्क की गई चौपाल पुलिस की गाडिय़ों को आग के हवाले कर दिया गया। सवाल यह उठ रहा है कि पुलिस की दर्जनों गाडिय़ां थी, केवल चौपाल पुलिस की गाडिय़ां ही क्यों निशाना बनी। इस बात को लेकर तरह-तरह के क्यास लगाए जा रहे हैं।
आशंका जाहिर की जा रही हैं कि माफिया ने सोची-समझी रणनीति के तहत चौपाल व नेरवा पुलिस के तीन वाहनों को फूंकने की साजिश की। दरअसल यह बात इस कारण उठ रही है, क्योंकि क्षेत्र की पुलिस के पास मूवमेंट के लिए कोई भी वाहन नहीं बचा। लाजमी तौर पर असुरक्षा भी महसूस की जा रही होगी। सवाल यह पूछा जा रहा है कि कोटखाई में ठियोग, जुब्बल व रोहडू के अलावा शिमला आदि की ही गाडिय़ां थी। दरअसल चौपाल उपमंडल का इलाका लकड़ी, चरस, ड्रग्स व सीडरवुड ऑयल के अलावा जड़ी-बूटियों की तस्करी के लिए कुख्यात रहा है।
निचले इलाकों में शुरू हो चुके सेब सीजन के दौरान चरस की तस्करी भी बड़े पैमाने पर होने की आशंका रहती है। सनद रहे कि कोटखाई में चौपाल पुलिस की तीन गाडिय़ां एचपी07सी-2312, एचपी07बी-0325 व एचपी07ए-0686 को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया था। जानकार मानते हैं कि वाहनों के आग की भेंट चढऩे के बाद पुलिस को नए वाहन सौंपने में सरकार को समय लग सकता है।