शिमला (एमबीएम न्यूज): राज्य में कार डीलर्स की मोनोपोली टूट गई है। यह जीएसटी की वजह से संभव हो पाया है। जीएसटी लागू होने के बाद आरामदायक स्थिति में कारों की खरीद को कहीं से भी किया जा सकता है। 2010 में पांच प्रतिशत एंट्री टैक्स लग जाने की वजह से चंडीगढ़, देहरादून या अन्य कस्बों से कारें खरीदने पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ता था। इसके बाद से राज्य में धड़ाधड़ कारों के शोरूम खुलने शुरू हो गए।
हालांकि स्पष्ट नहीं है, लेकिन मोटी जानकारी के मुताबिक प्रदेश भर में कार डीलर्स व शाखाओं की संख्या 100 के आसपास हो सकती है। एंट्री टैक्स होने की वजह से डीलर्स द्वारा उपभोक्ताओं को अपने मनमाफिक ही सेवाएं दी जा रही थी, क्योंकि वह जानते थे कि अगर राज्य से बाहर कार खरीदते हैं तो 5 प्रतिशत एंट्री टैक्स चुकाना होगा। राज्य में कारों पर 13.75 प्रतिशत वैट व 18.20 प्रतिशत एक्साइज लग रही थी, जो 32प्रतिशत के आसपास थी। लेकिन जीएसटी में अब कारों पर 28 प्रतिशत टैक्स हो गया है। मतलब एक तरफ जहां टैक्स कम हुआ है, वहीं एंट्री टैक्स खत्म होने से कार खरीदने वालों को डबल बोनांजा मिला है।
जानकारों के मुताबिक जीएसटी के बाद राज्य में तीन टैक्स ही रह गए हैं, इसमें अतिरिक्त गुडस टैक्स, स्ट्रेन गुडस टैक्स कैरिड बॉय रोड एक्ट व पैसेंजर गुडस टैक्स शामिल है। एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद अब कार खरीदने के चाहवान मजे से अपनी मर्जी के मुताबिक कहीं से भी खरीद कर सकते हैं। जानकार बताते हैं कि बड़े शहरों से कार खरीदने के कई फायदे मिलते हैं, इसमें ऑफर के साथ-साथ कारों के चयन का भी अवसर होता है, जबकि प्रदेश में खुले शोरूमस में सीमित विकल्प होते थे।
उधर आबकारी व कराधान विभाग के सहायक आयुक्त जीडी ठाकुर का कहना है कि एंट्री टैक्स खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि अब बाहर से कार खरीदने पर कीमत का 5 प्रतिशत शुल्क नहीं वसूला जा रहा।