हर किसी ने जांच के तरीके पर जताया था विश्वास।
शिमला (एमबीएम न्यूज): समूचे प्रदेश को गुडिय़ा प्रकरण ने हिलाकर रख दिया। हालांकि प्रदेश के इतिहास में आंदोलन पहले भी हुए हैं, लेकिन इस ह्रदय विदारक हादसे से हर किसी को झकझोर कर रख दिया। शुरूआती जांच की जिम्मेदारी 2011 बैच के एचपीएस अधिकारी मनोज जोशी ने निभाई। यही वो पुलिस अधिकारी थे, जिस पर जनता विश्वास करती रही। 29 सितंबर 1981 को जन्मे जोशी मूलत: नाहन के रहने वाले हैं।
इससे पहले कांगड़ा में इसी पद पर बेहतरीन सेवाएं दे चुके हैं। 2008 में एचएएस की परीक्षा पास की, लेकिन एचपीएस में आने का मौका नहीं मिला। लिहाजा नौकरी के साथ-साथ एचएएस की तैयारी में जुटे रहे। तीन साल बाद उस वक्त सफलता मिली, जब एचएएस में चयन हुआ, मगर प्रशासनिक अधिकारी बनने की बजाय मनोज ने एचपीएस की राह को चुना। बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले जोशी अपने स्वभाव, निष्पक्षता व ईमानदारी के कारण लोगों का दिल जीत लेते हैं।
दीगर है कि जहां सोशल व प्रिंंट मीडिया में प्रशासन की किरकिरी हो रही थी, वहीं डीएसपी मनोज जोशी के प्रति लोगों ने कोई नाराजगी जाहिर नहीं की। अपनी प्रोफेशनल दक्षता में जोशी काफी माहिर हैं। गुडिय़ा प्रकरण की जांच के दौरान भी हर कदम फूंक-फूंक कर तो रख ही रहे थे। साथ ही अपने स्तर पर मेहनत में लगे रहे। आरोप यह लगा था कि एसआईटी के गठन के बाद जांच प्रभावित हुई है। इससे पहले जोशी के नेतृत्व में जांच ठीक चल रही थी। इस बारे सोशल मीडिया में सैंकड़ों कमेंटस भी लिखे गए।
बहरहाल अब इस मामले की जांच युवा डीएसपी मनोज जोशी को नहीं करनी है, क्योंकि मामला सीबीआई के पाले में है।