नाहन (रेणु कश्यप): सूबे के लोकप्रिय कवि चमन सिंह ठाकुर व उनकी अर्द्धागिनी ने एक साथ पीएचडी की उपाधि हासिल कर एक नई मिसाल पेश की है। युवा दंपत्ति ने साबित कर दिखाया है कि दांपत्य जीवन में पति-पत्नी की कड़वाहट नहीं होती है, बल्कि दोस्ताना तरीके से पढ़ाई भी की जा सकती है। संभवत: यह पहला अवसर है, जब किसी दंपत्ति ने एक साथ एमए की पढ़ाई पूरी की। फिर एमएड पूरी करने के बाद पीएचडी की उपाधि हासिल की।
मूलत: दुर्गम गांव शेहूबाग के रहने वाले डॉ. चमन ने अपने गांव में ही प्रारंभिक शिक्षा पूरी की थी। मिडल स्कूल की पढ़ाई के लिए दो किलोमीटर का सफर तय करने के बाद गिरिनदी पार करनी पड़ती थी, क्योंकि स्कूल की सुविधा सियूं में थी। यह सफर हमेशा ही जोखिमपूर्ण था। सैनधार के बेचड़ का बाग से वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की पढ़ाई पूरी करने के बाद नाहन कॉलेज में दाखिला लिया। एमए हिन्दी व राजनीतिक शास्त्र में की है।
2010 में अंजली से परिणय सूत्र में बंधे। दांपत्य जीवन के साथ-साथ पठन व पाठन को जारी रखा। पति-पत्नी मिलकर अध्ययन के साथ-साथ अध्यापन करते रहे। दोनों ने एक साथ ही 2014 में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। अब हाल ही में जून 2017 में एक साथ पीएचडी की उपाधि को सिंघानिया विश्वविद्यालय से हासिल करने में सफल हुए हैं। डॉ. अंजली सिंह ने बॉटनी में एमएससी की है। साथ ही अंग्रेजी में भी एमए पूरी की है।
डॉ. चमन सिंह का कहना है कि वह बेहद निर्धन कृषक के बेटे हैं। पिता ने अपना खून-पसीना बहाकर पालन-पोषण किया है। लिहाजा वह अपनी पीएचडी की उपाधि को पिता के चरणों में समर्पित करते हैं।