जंजैहली (लीलाधर चौहान) : उपमंडल जंजैहली की ग्रांम पंचाययत थानाशिवा के सुवली में हर वर्ष की तरह इस बार भी कीचड उत्सव धूमधाम से मनाया गया, जिसमें देवता सुमूनाग का हूम भी पारम्परिक व रूढ़िवादी अंदाज में आज भी हर्षाेउल्लास से देखने को मिलता है
आपको बता दे कि समृद्ध देव संस्कृति के परिचायक इस हूम व उत्सव में पढे-लिखे श्रद्धालु – देवलु युवा पीढी ज्यादा सनकी होते है। कीचड के खेल में आपस में कीचड फैंकने के दौरान अश्लील गालियां भी एक दूसरे को हंसते-हंसते दी जाती है, जिसका कोई भी बुरा नहीं मानता बल्कि उन्हे शुभ संकेत मानते हैं।
हैरानीजनक विषय तो यह है कि इस उत्सव को देखने और सुनने पढी -लिखी औरतें व स्कूली छात्राए भी पहुंचती हैं। वे अश्लील गालियों को सुनकर आनंदित होती है। मान्यता है कि ऐसा करने से बुरी ताकतें दूर रहती है और क्षेत्र में खुशहाली रहती है।
जमीन में गाडा जाता है देवदार का पेड
इस दौरान दर्जनों लोग एक हरे भरे देवदार के पेड को जंगल से उठाकर लाते है और फिर उसे जमीन में गाड दिया जाता है। श्रद्धालुओं से मिली जानकारी के अनुसार कि यह पेड 2 किलोमीटर दूर से लाया जाता है, जिसका सिर जरा सा भी टूटना नहीं चाहिए। अगर गलती से यह सिर टूट जाता है तो फिर दूसरा पेड लाना पडता है। पेड जमीन पर गाडने के बाद श्रद्धालु लोग एक-दूसरे को पकडकर तांगली लगाते है और अभद्र भाषा का प्रयोग करते है, जिसे अति शुभ माना जाता है।
इस कीचड उत्सव को मनाने के लिए एक बडा सा तालाब बनाया जाता है, जिसमें पहले से ही चिकनी मिटटी होती है। फिर उसे खेलने के लिए पानी सहित मिलाया जाता है। वैसे तो यह उत्सव बरसात के मौसम में मनाया जाता है, जब बारिश का पानी भरपूर मात्रा में होता है। अगर किसी कारण उत्सव स्थल पर पानी न हो तो 2 किलामीटर दूर से भी पानी उठाकर यह उत्सव मनाया जाता है। यह हूम विदेशों में मनाए जाने वाले मड फैस्टीवल की याद दिलाता है।