शिमला (एमबीएम न्यूज): यह खबर बेहद चौंकाने वाली है। शिलाई के कांडो भटनोल की रहने वाली 29 वर्षीय ममता शर्मा की बात पर यकीन किया जाए तो हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग में सब गोलमाल है, नजर आता है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब शिमला की योगिता के साथ हुई कथित ज्यादती की खबर प्रकाशित की तो फोन नंबर तलाश कर ममता शर्मा ने भी एमबीएम न्यूज नेटवर्क को संपर्क साधा। अपनी बात बताते-बताते ममता लगातार रोती रही।
दरअसल 8 महीने की गर्भावस्था के दौरान ओबीसी वर्ग में इतिहास प्रवक्ता (पीजीटी) की लिखित परीक्षा ममता ने 10 दिसंबर 2016 को दी थी। 11 जुलाई को साक्षात्कार आयोजित हुए। चंद रोज पहले आयोग ने वैबसाइट पर लिखित व साक्षात्कार के अंक दर्शाए हैं। इसे देखकर ममता चौंक गई। लिखित परीक्षा में 73 अंक हासिल कर अपने वर्ग में दूसरा स्थान मिला था। साक्षात्कार में उसे 40 अंक दिए गए। ममता का चौंकना इस कारण भी लाजमी था, क्योंकि उसके कुल अंकों का योग 113 बन रहा था, जबकि आयोग ने 111 व 112 अंक हासिल करने वालों को ही चयनित घोषित कर दिया।
ममता का आरोप है कि 111 अंक हासिल करने वाले उम्मीदवार ने लिखित परीक्षा में 64 अंक पाए थे, जबकि साक्षात्कार में उसे 47 अंक मिले। इसी तरह 63 अंक हासिल करने वाले को साक्षात्कार में 49 अंक हासिल हुए हैं। ममता कहती हैं कि वह इस बात को नहीं समझ पा रही थी कि कम अंक वाले उम्मीदवार का चयन कैसे किया गया।
विशेष बातचीत के दौरान ममता ने कहा कि इस बारे फोन कर बार-बार आयोग से स्पष्टीकरण मांगा गया तो कोई भी जवाब देने को तैयार नहीं हुआ। लिहाजा उसने अपने एक रिश्तेदार को आयोग के कार्यालय में भेजा, जहां से जवाब दिया गया कि केवल साक्षात्का के अंकों के आधार पर चयन हुआ है। इसी हिसाब से उम्मीदवारों का चयन किया गया है। बहरहाल बड़ा सवाल यही उठता है कि अगर आयोग ने अगर साक्षात्कार के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन करना है तो लिखित परीक्षा क्यों आयोजित की गई।
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