शिमला (एमबीएम न्यूज): हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली पर आज लगातार तीसरे दिन भी सवाल उठे हैं। चयन प्रक्रिया में अब एक नई जानकारी आ रही है। इसके मुताबिक आयोग द्वारा साक्षात्कार के आधार पर ही स्कूल व कॉलेजों में लैक्चरर्स की भर्ती की जा रही है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि छंटनी परीक्षा के टॉपर्स को साक्षात्कार में कम अंक देकर बाहर का रास्ता क्यों दिखाया जा रहा है।
ताजा मामला, धर्मशाला की 34 वर्षीय मोनिका डोगरा से जुड़ा हुआ है। मोनिका पीजीटी पद के अंग्रेजी विषय में छंटनी परीक्षा में 2nd Topper बनती है। लेकिन उसे साक्षात्कार में मात्र 52 अंक दिए जाते हैं। सरकार एक तरफ इंटरव्यू खत्म करने की बात कर रही है, वहीं मोनिका को साक्षात्कार में कम अंक मिलने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
गौरतलब है, सामान्य वर्ग में 34 वर्षीय मोनिका तीसरी बार इंटरव्यू में अपीयर हुई थी। यह सही है कि आयोग ने अपने विज्ञापन में इस बात का जिक्र किया था कि साक्षात्कार के आधार पर अंतिम चयन होगा, लेकिन सबकुछ सोची-समझी नीति के तहत होने की आशंका जताई जा रही है। अंतिम नतीजा जारी होने के दो-तीन सप्ताह बाद ही उम्मीदवारों को उनके लिखित व इंटरव्यू के नंबर बताए गए, ताकि चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग का माकूल वक्त मिल जाए। आयोग अगर पारदर्शिता बरत रहा है तो छंटनी परीक्षा के साथ-साथ साक्षात्कार में हासिल किए गए अंकों को चंद रोज में ही क्यों नहीं जारी कर रहा।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मोनिका डोगरा ने अपनी आपबीती सुनाने के लिए संपर्क किया। उन्होंने बताया कि तकरीबन एक सप्ताह पहले प्रधानमंत्री कार्यालय को भी आयोग की धांधली बारे अवगत करवाया गया था, जहां से फिलहाल कोई जवाब नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि जून महीने में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था, लेकिन लिखित परीक्षा में सैकेंड टॉपर होने के बावजूद पद के लिए अयोग्य करार दे दिया गया।
34 वर्षीय मोनिका बताती हैं कि उन्होंने सामान्य वर्ग के तमाम चयनित प्रत्याशियों की सूची अपने स्तर पर तैयार की हैं, जिसमें दूध का दूध, पानी का पानी हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस बाबत वह कानूनी राय भी ले रही हैं। पूछे जाने पर मोनिका ने बताया कि साक्षात्कार के दौरान 10-12 सवाल पूछे थे, जिसमें से केवल एक का जवाब नहीं दे पाई थी। अब ऐसा लग रहा है कि राजनीतिक सिफारिश न होने की वजह बाहर कर दिया गया।