हमीरपुर(एमबीएम न्यूज़): हिमाचल साहित्य अकादमी अवार्ड से पुरस्कृत कवि एवं सूचना व जनसंपर्क विभाग के उप निदेशक गुरमीत बेदी ने कहा है कि हिंदी भाषा का रंग होली के रंगों से अधिक गहरा है और हिंदी की डोर पूरे राष्ट्र को जोड़े हुए है। उन्होंने कहा हिंदी हमारे राष्ट्रीय गौरव की भाषा ही नहीं, हमारी अस्मिता, हमारा स्वाभिमान, हमारी अभिव्यक्ति और हमारी धमनियों में दौड़ता हुआ रक्त है।
बेदी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के ऑडिटोरियम में गत रात्रि ”अभ्युदय 2017 ” उत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने उदगार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने संस्थान की वार्षिक हिंदी पत्रिका त्रिशूल का विमोचन भी किया। संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. आर के दत्ता व कुल सचिव सुशील चौहान ने हिमाचली शाल, टोपी व स्मृति चिन्ह भेंट करके गुरमीत बेदी को सम्मानित किया। यह कार्यक्रम इस संस्थान के भव्य उत्सवों में से एक है जो पूर्णत: हिंदी के सौंदर्य व गरिमा को महिमामंडित करता है।
गुरमीत बेदी ने कहा हिंदी का संसार निरंतर फैल रहा है और हिंदी अब हिंदुस्तान की सरहदें लांघ कर एक ग्लोबल भाषा बनने की ओर अग्रसर है, हिंदी की रीच हर महाद्वीप में है। भारतवंशी हिंदी मूल के लोग दुनिया के हर देश में हैं और उनकी हिंदी हमारी हिंदी जैसी ही है। उन्होंने कहा दुनिया के कई देशों के विश्वविद्यालयों में अब हिंदी पढ़ाई जा रही है और विदेशियों में भी हिंदी सीखने का क्रेज बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा हिंदी हमारी बोलचाल की नहीं, हमारी अभिव्यक्ति की भाषा भी है और हमारी जीवन शैली भी है। दुनिया के साहित्य जगत को हिंदी में कई कालजई रचनाएं दी हैं और हमारे देश के साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से हिंदी भाषा को निरंतर समृद्ध किया है। गुरमीत बेदी ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने भीतर मौजूद सृजनात्मकता को पहचानें और इसे सृजन में बदलें। उन्होंने कहा यही सृजन ही हमें कलाकार, साहित्यकार, कवि, लेखक, चित्रकार, संगीतकार व तमाम कलाओं में पारंगत बनाता है।
गुरमीत बेदी ने अभ्युदय 2017 के आयोजन को हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार व उत्थान हेतु एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया और विद्यार्थियों को इस प्रयास के लिए बधाई दी। उन्होंने संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा भारत के महान कवियों और लेखकों की लगाई गई प्रदर्शनी के लिए भी विद्यार्थियों की सराहना की। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान की हिंदी समिति द्वारा आयोजित निबंध लेखन काव्यपाठ नृत्य-संगीत शेरो शायरी व चरित्र निर्माण प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया।
गुरमीत बेदी ने संस्थान की वार्षिक हिंदी पत्रिका त्रिशूल को विद्यार्थियों की सृजनात्मकता से भरपूर बताया। उन्होंने कहा साहित्य सदैव ही समाज का एक अभिन्न अंग रहा है। साहित्य की भाषा में जितनी सरलता होगी, उतना ही वह जनमानस के मन को छू जाएगा। उन्होंने कहा जब जनसाधारण लोग साहित्य की रचना अपनी भाषा में करते हैं तो उस समाज उस संस्थान को नई ऊंचाइयों मिलती हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रभारी निदेशक डॉ. आर के दत्ता, रजिस्ट्रार सुशील चौहान, डीन राजीवन चंदेल, भाषा अधिकारी नितिन पालीवाल, प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजन आंगरा, अखिलेश, आशुतोष सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।