बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा) : शहर के रौड़ा सेक्टर में गत दिनों क्षेत्रीय अस्पताल में तैनात फिजियोथैरेपिस्ट ज्योति ठाकुर के अपने निजी क्वार्टर में फंदा लगाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है । यहां पर शुक्रवार को मामले को लेकर एडवोकेट परवेश चंदेल के नेतृत्व में लोगों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा ।
ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने उक्त फिजियोथैरेपिस्ट के रात के समय आनन-फानन में हुए पोस्टमार्टम व फंदे पर लटक कर आत्महत्या करने पर सवाल उठाए है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल परवेश चंदेल, केश पठानिया, सुशील, रमजान तथा बिजली महंत इत्यादि का कहना है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि मामले की सारी सच्चाई जनता के सामने आ सके। उन्होंने कहा कि गत 6 सितंबर को उक्त फिजियोथैरेपिस्ट रौड़ा सैक्टर स्थित निजी क्वार्टर में फंदे पर लटकी हुई पाई गई थी।
उन्होंने कहा कि अज्ञात सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वहां पर पुलिस व फोरैसिक टीम ने जांच की थी । उसकी मृत्यु संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई है । जिसमें हत्या से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं उसी शाम को करीब साढ़े 8 बजे क्षेत्रीय अस्पताल में उसके शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया जबकि नियमानुसार सूर्यास्त के पश्चात शव का पोस्टमार्टम नहीं किया जाता।
संयोगवश उसी दिन शव गृह में रखे गए अन्य शव का पोस्टमार्टम चिकित्सक द्वारा 6 सितंबर की बजाय 7 सितंबर को किया गया । उन्होंने कहा कि 6 सिंतबर को तेज बारिश, आंधी व बिजली कट हुई थी। फिर भी पुलिस व चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम को अंजाम दिया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि उक्त पोस्टमार्टम की गई वीडियोग्राफी तथा मृतक के कॉल डिटेल संदेह के घेरे में आए चिकित्सक की कॉल डिटेल की जांच भी की जाए ताकि मृतक को न्याय मिल सके।