शिमला (शैलेंद्र कालरा) : राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए गजब की निडरता दिखाने का मामला आया है। यकीन कीजिए, महिला स्वास्थ्य कर्मी गीता वर्मा हर हाल में चाहती थी कि देवदार के घने जंगलों में मौजूद घुंमतू गुज्जरों के बच्चों को खसरा-रूबैला का टीका तय कार्यक्रम के तहत लगे। लिहाजा घने जंगल में Off Road ही बाइक चलाकर वैक्सीन बॉक्स ले जाने का फैसला लिया। बाइक पर पीछे आशा वर्कर गीता भाटिया को बिठाया, साथ ही आंगनबाडी कार्यकर्ता प्रेमलता भाटिया ने पैदल ही जंगल का रास्ता तय किया। सनद रहे कि घुमन्तु गुज्जर एक ऐसा कबीला है जो अधिकतर जीवन जंगलो में ही गुजर करता है, जिनका आम लोगो से काफी कम सम्पर्क होता है।
मंडी जिला की जंजैहली उपमंडल के शिकारी देवी के जंगल में स्वास्थ्य कर्मियों की कोशिश वाकई ही लाजवाब है। तीनों ही महिलाओं की हिम्मत की दाद इस कारण देनी होगी क्योंकि जंगल से गुजरना बेहद ही खतरनाक था, क्योंकि हर वक्त जंगली जानवरों के हमले का साया मंडरा रहा था। शिद्दत से की गई कोशिश भी रंग लाई, क्योंकि अमूमन गुज्जर समुदाय इस तरह के कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी के लिए आनाकानी करता है। लेकिन गीता वर्मा के साथ गीता भाटिया व प्रेमलता भाटिया के हौंसले को देखकर 48 पात्र बच्चों का टीकाकरण किया गया।
करसोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत गीता वर्मा की तैनाती सब सेंटर शंकर देहरा में है। पहले करसोग पहुंची जहां से वैक्सीन बॉक्स के साथ अन्य सामान बाइक पर लादकर मंजिल की तरफ निकल गई। 5 सितंबर को घुमंतू गुज्जरों के बच्चों का सफल टीकाकरण करने के बाद जब वापिस लौटी तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी गीता की प्रशंसा में जमकर सामने आएं।
Off Road Bike चलाने के दौरान गीता को हैलमेट पहनना संभव नहीं था, न केवल बाइक पर सामान लदा हुआ था बल्कि संतुलन रखना भी जरूरी था, क्योंकि Off Road ड्राइविंग के दौरान पगडंडी के दोनों हिस्सों पर नजर रखनी लाजमी थी। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में गीता वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपना कार्य निष्ठा से निभाने की कोशिश की। उन्हें कतई भी अंदाजा नहीं था कि विभाग से प्रशंसा मिलेगी।
हैलमेट के बारे में गीता ने कहा कि वह हर तरह का दोपहिया वाहन चला लेती है, साथ ही चोपहिया वाहन की ड्राइविंग भी कर लेती है। इसके लिए उनके पास लाईसेंस भी है। उन्होंने कहा कि वह चाहकर भी Off Road ड्राइविंग के दौरान हैलमेट नहीं पहन सकती थी।
उल्लेखनीय है कि महिला स्वास्थ्य कर्मी गीता वर्मा के पति केके वर्मा, हिमाचल प्रदेश पुलिस में शिमला में तैनात है। उन्होंने बताया कि Off Road ड्राइविंग के अलावा 2 से 3 किलोमीटर पैदल भी चलना पडा, क्योंकि गुज्जरों की बस्तियां फैली हुई थी। डर के बारे में पूछे जाने पर गीता वर्मा ने कहा कि ड्यूटी जरुरी थी क्योंकि देश को नौनिहालों की सुरक्षा की बात थी।