मंडी (वी कुमार) : विकास से विजय की ओर चलने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार ने जिस रैली को ऐतिहासिक बनाने की ठानी थी उस रैली की कुर्सियां खाली रह गई। रैली की शुरूआत से लेकर अंत तक पंडाल के पीछले हिस्से की कुर्सियां बैठने वालों का इंतजार की करती रह गई। सरकार और कांग्रेसी नेताओं ने दावे किए थे कि रैली ऐतिहासिक होगी और वह गलत आकंड़े जारी नहीं करेंगे जो भी होगा सभी के समक्ष होगा।
कुछ कांग्रेसी नेताओं ने तो बिलासुपर में हुई प्रधानमंत्री की रैली से चार गुणा अधिक भीड़ उमड़ने का दम भी भरा था, लेकिन जब रैली हुई तो इन सब बातों की हवा निकल गई। रैली का समय सुबह दस बजे निर्धारित किया गया था। दस बजे तक बनाए गए पंडाल का एक चौथाई हिस्सा भी नहीं भर पाया था। यहां तक कि सीएम वीरभद्र सिंह भी 11 बजे तक रैली स्थल पर पहुंच गए थे और उनके सामने भी खाली कुर्सियां उन्हें चिढ़ा रही थी। बाद में धीरे-धीरे करके लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ।
राहुल गांधी के आने तक अधिकतर खाली कुर्सियां भर चुकी थी, लेकिन अभी भी पंडाल का पीछे वाला एक हिस्सा खाली कुर्सियों से भरा पड़ा था। हालांकि अधिकतर लोग मैदान की सीढि़यों पर भी बैठे थे लेकिन जहां कुर्सियां थी वहां लोग बड़े आराम से बैठे हुए नजर आए, क्योंकि कुर्सियों को लेकर कोई मारा-मारी नहीं थी। कहीं न कहीं कांग्रेस की तरफ से भीड़ उमड़ने का जो दावा किया गया था वह सही साबित नहीं हो सका।