दिल्ली (एमबीएम न्यूज): भारत निर्वाचन आयोग ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। मगर यह बात आयोग ने स्पष्ट नहीं की है कि क्यों प्रदेश को मतगणना के लिए 40 दिन का इंतजार करना पड़ेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में 3 अक्तूबर 2012 को चुनाव का ऐलान हो गया था। मतगणना 20 दिसबंर को हुई थी।
इस बार चुनाव का ऐलान 12 अक्तूबर को हुआ है, वहीं मतगणना 18 दिसंबर को हो रही है। यानि 27-28 दिन के भीतर ही मतदान हो जाएगा। अगर आयोग द्वारा गुजरात के चुनाव की तारीखें भी साथ ही जारी की जाती तो यह सवाल नहीं उठता कि 40 दिन का इंतजार क्यों। लेकिन इस बार गुजरात के चुनावों की तारीखें एक साथ नहीं जारी हुई है। अब सवाल उठता है कि जब मतदान 9 नवबंर को हो रहा है तो मतगणना 20 दिसंबर को ही क्यों? इस कार्य को भी 15 नवबंर से पहले ही पूरा किया जा सकता था।
खास बात यह है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा हिमाचल व गुजरात के चुनावों का ऐलान एक साथ किया जाता रहा है। लेकिन आज केवल हिमाचल के ही चुनाव का ऐलान हुआ। सुबह से अटकलें यह थी कि एक साथ दोनों राज्यों के चुनावों की घोषणा होगी। चुनाव के कार्यक्रम के समीक्षक बताते है कि सूबे को मतगणना के लिए 40 दिन का इंतजार इस कारण करना पडेगा, क्योंकि गुजरात में आचार संहिता को लेकर बेशक ही अलग कार्यक्रम हों, लेकिन मतगणना एक साथ होगी। सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन आचार संहिता लागू करने को लेकर अलग-अलग तिथि पर संशय जरूर हो रहा है।
अहम बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में चुनावी प्रक्रिया को निपटाने के लिए आयोग को मतदान के लिए 30 दिन लगे थे, वहीं इस बार 27 दिन में मतदान को निपटाया जा रहा है। वीरवार शाम जब भारत निर्वाचन आयोग के आयुक्त अचल कुमार ज्योति पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे तो उन्होंने यह जरूर स्पष्ट किया कि 15 नवंबर के बाद प्रदेश के कुछ हिस्सों में बर्फबारी की संभावना रहती है, लिहाजा इस तिथि से पहले मतदान की प्रक्रिया को निपटाया जा रहा है।
चुनाव आयोग के कार्यक्रम से इतना तय है कि राजनीतिक दलों को संभलने का मौका नहीं मिला है। यहां तक की चुनावी घोषणापत्र भी जारी करने में दिक्कत हो सकती है। सोशल मीडिया में यह सवाल उठाये जाने लगे है कि क्या मोदी सरकार के इशारे पर आयोग ने गुजरात में बीजेपी को कुछ ओर दिन का मौका दे दिया है। बहरहाल यह पाठको को ही तय करना है कि ऐसा है या नहीं।