शिमला (एमबीएम न्यूज़ ): हिमलोक कला संगठन शिमला ने जिला प्रशासन पर अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले की सांस्कृतिक संध्याओं में कलाकारों के चयन में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। संगठन के अध्यक्ष गोपी जैक व सदस्यों प्रभा ठाकुर, संजय ठाकुर, विकास व अन्य स्थानीय कलाकारों ने आज यहां पत्रकारों को अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि जिला प्रशासन ने ऑडिशन की नई परंपरा शुरू करके लवी मेले में चहेतों को लाभ पहुंचाया है।
मेले की सांस्कृतिक संध्याओं में प्रदर्शन करने हेतु जिला प्रशासन द्वारा ऑडीशन की नई परंपरा शुरू की गई है और इसमें बड़े पैमाने पर गोलमाल हुआ। अनुभवी कलाकारों को ऑडीशन से बाहर का रास्ता दिखाकर चहेतों को मौका दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि ऑडीशन में चुने गए कुछ कलाकारों ने लवी मेले की दो सांस्कृतिक संध्याओं में स्टेज शो किए, जबकि नियमों के मुताबिक एक कलाकार एक से ज्यादा सांस्कृतिक संध्या में स्टेज पर परफॉर्म नहीं कर सकता है। इस पूरे आयोजन में प्रशासन ने केवल और केवल अपने खासमखास कलाकारों को ही फायदा पहुंचाया है।
गोपी जैक ने कहा कि हिमलोक सेवा संगठन के कलाकारों को जिनका कई सालों का अनुभव था, उन्हें ऑडिशन से बाहर कर दिया गया है। उनके मुताबिक प्रशासन ने 200 कलाकारों के ऑडिशन लिए थे, जिनमेे 85 चयनित किए गए। इसमें अच्छे कलाकारों को मौका नहीं दिया गया, पैराशूटी कलाकार चुने गए। बेस्ट कॉमेडियन रह चुके युवा कलाकार विकास भी ऑडिशन से बाहर हुए। ऐसे कलाकार ऑडिशन में चुने गए, जिनका कोई अनुभव नहीं था। इतना ही नहीं जो कलाकार ऑडिशन से बाहर हो गए थे, उन्हें भी लवी मेले की सांस्कृतिक संध्याओं में अपनी परफॉर्मेंस दिखाई।
गोपी जैक व अन्य कलाकारों ने कहा कि इस मुददे को जिला उपायुक्त से भी उठाया गया, लेकिन उनका रवैया नाकारात्मक रहा। इन कलाकारों ने सरकार से मांग की है कि मेलों व उत्सवों की सांस्कृतिक संध्याओं में कलाकारों के चयन के लिए अलग से बोर्ड बनाया जाए। इस बोर्ड के माध्यम से ही कार्यक्रमों के लिए कलाकारों का चयन होना चाहिए। इससे ऐसे आयोजनों में पारदर्शिता आएगी और काबिल व अनुभवी कलाकारों से न्याय होगा।