मंडी (वी कुमार) : सर्द हवाओं में तराई क्षेत्रों में कंपकपी छूटती है। सोचिए, ऐसे इलाके में जहां चंद रोज में बर्फ गिरने की संभावना हो, वहां ग्रामीणों को तरपालनुमा टीन के शैड में जिंदगी गुजारनी हो तो क्या होगा। यहां बात हो रही है, धार गांव की। यहां 30 अक्तूबर को 31 घर अग्रि की भेंट चढ़ गए थे। ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित इस गांव में आग ने चंद सैकेंडों में ही लोगों का सब कुछ तबाह कर दिया था।
ग्रामीणों को अस्थाई आशियाने प्रशासन ने मुहैया करवा दिए हैं। लेकिन जख्म भरने में तो संभवत: लंबा समय लगेगा। भयंकर आग में लोगों का सब कुछ तबाह हो गया था। चूंकि कृषि उपकरण भी आग की भेंट चढ़ गए थे, लिहाजा ग्रामीण अब खेती-बाड़ी करने में भी लाचार हो गए हैं। गैर सरकारी संस्था से उम्मीद की जा रही है कि ग्रामीणों को कृषि उपकरण मिल जाएं, ताकि कम से कम लोग खेती-बाड़ी करना शुरू कर सकें।
ग्रामीण नेतर सिंह, चुन्नी लाल, बुधराम, राम सिंह व नागराज इत्यादि ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगली सरकार बनते ही उन्हें स्थाई आशियाने मिलेंगे। कांग्रेस व भाजपा के स्थानीय नेताओं ने गांव के दौरे तो किए, लेकिन सहायता के तौर पर चुनाव आचार संहिता के कारण किसी बड़ी राशि की घोषणा नहीं की जा सकी। ग्राम पंचायत के उप प्रधान तुले राम का कहना है कि अग्निकांड से पीडि़त परिवारों की हालत बेहद दयनीय है। तरपालों में रह रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, वैसे-वैसे ही मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।
विडंबना यह भी है कि अस्थाई ढारों में बिजली-पानी की व्यवस्था तो नामुमकिन ही लग रही है। साथ ही आग को जलाना भी खतरे से खाली नहीं होगा। प्रशासन का कहना है कि अस्थाई शैड बनाए जा रहे हैं, जिसका कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा। रिलीफ मैन्युअल के तहत ही लोगों को घर बनाने के लिए राशि दी जाएगी।