श्री रेणुका जी (एमबीएम न्यूज): दिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला शनिवार को को संपन्न हो गया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने समापन समारोह में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। राज्यपाल ने देव पालकियों को कंधा देकर विदा किया और उसके साथ ही मेले का विधिवत समापन हो गया। रेणु मंच से अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि मेले व त्योहार हमारी संस्कृति के परिचायक है। इसमें हमारी पौराणिक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। गौर हो कि अंतरराष्ट्रीय श्रीरेणुकाजी मेला माता व पुत्र के मिलन का प्रतीक है।
दशमी के दिन भगवान परशुराम अपनी मां रेणुका से मिलने श्री रेणुका जी पहुंचते है। इस दौरान श्रीरेणुकाजी विकास बोर्ड द्वारा आयोजित हवन यज्ञ में राज्यपाल ने पूर्णाहूति डाली। इसके अलावा उन्होंने मेले में विभिन्न विभागों और स्वयं सेवी सस्थाओं द्वारा लगाई गई प्रदशर्नियों का अवलोकन भी किया। उन्होंने आयुर्वेद विभाग द्वारा लगाई प्रदर्शनी की जमकर सराहना भी की।
जैविक खेती अपनाएं किसान
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि जिला सिरमौर की नगदी फसल अदरक को सडऩ रोग से मुक्त करने के लिए यहां के किसानो को जैविक खेती अपनानी चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिको का आह्वान किया कि वह अपनी रिसर्च प्रयोगशाला तक सीमिति न रखकर किसानों के खेतों तक जाकर फसलों में लगने वाली बीमारियों का पता लगाए। यह बात उन्होंने श्रीरेणुकाजी मेले के समापन अवसर पर पत्रकारो से अनौपचारिक बातचीत में कही।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे जिसको लेकर प्रदेश के पालमपुर व नौणी विश्विधालय में जीरो बजट पर प्राकृतिक खेती करने के मॉडल तैयार किये जा रहे है, जहां से प्रदेश का कोई भी किसान निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता ह। इससे किसानों को महंगा बीज, यूरिया व कृत्रिम खाद खरीदने से छुटकारा मिल सके।
उन्होंने सिरमौर जिले की नकदी फसल के सडऩ रोग चपेट में आने पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा की प्राक्रतिक खेती को अपनाने से निश्चित तौर पर परिवर्तन आएगा तथा किसानो को सडऩ रोग से छुटकारा मिलेगा। कृषि विभाग को इस बारे में ठोस प्रयास करने के आवश्यकता है। इस अवसर पर डीसी बीसी बडालिया, एसडीएम कृतिका कुल्हारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।