मंडी (वी कुमार) : सात अक्तूबर को पड्डल मैदान में हुई कांग्रेस की रैली के लिए किराए पर ली गई हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों के किराए का भुगतान अभी तक भी नहीं हुआ है। प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं, ऐसे में पथ परिवहन निगम प्रबंधन के लिए यह किराया वसूलना टेढी खीर हो गया है। अकेले मंडी और कुल्लू जिला का किराया ही 71 लाख से अधिक का बताया जा रहा है।
परिवहन निगम के अधिकारी व कर्मचारी इसके लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं मगर उन्हें किराया नहीं मिल पा रहा है। यदि किराया 18 दिसंबर तक नहीं मिला और प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया तो इसकी वसूली अगली सरकार जिम्मेवारी अधिकारियों से कर सकती है। यह सोचकर निगम अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं। इसमें रोचक यह है कि कांग्रेस की इस रैली के लिए बसों की बुकिंग प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने उपायुक्तों के माध्यम से करवाई थी। अब जबकि निगम प्रबंधन ने इसका बिल सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है तो वहां से उपायुक्त से इसे वैरीफाई करवाने को कहा जा रहा है। इसी चक्कर में बिल लटक रहा है और जितनी देरी हो रही है उतनी ही धडकनें निगम प्रबंधन की तेज होती जा रही हैं।
सूत्रों के अनुसार इस रैली के लिए मंडी सदर के लिए 32 बसें जिनका किराया लगभग अढाई लाख है, बल्ह के लिए 61 बसें किराया लगभग 3 लाख, द्रंग के लिए 9 बसें किराया डेढ लाख, सराज के लिए 29 बसें किराया पौने 6 लाख, धर्मपुर के लिए 27 बसें किराया लगभग 4 लाख, सरकाघाट के लिए 30 बसें किराया लगभग सवा 3 लाख, सुंदरनगर के लिए 66 बसें किराया लगभग साढ़े 6 लाख तथा कुल्लू जिला के लिए 79 बसें बुक करवाई थी, जिनका किराया सवा 15 लाख के लगभग है। दूसरे जिलों के लिए यदि बसें बुक हुई होंगी तो उनका किराया भी इसी चक्कर में फंसा है।
अब एक तरफ तो निगम घाटे में जा रहा है, कर्मचारियों को वेतन, ओवर टाइम देने के लिए पैसा नहीं हैं, पेंशनर्स अपना ही पैसा पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं तो दूसरी तरफ लाखों करोड़ों के बकाया की राजनीतिक हस्तक्षेप पर दबाव के चलते वसूली नहीं हो पा रही है। खासकर इस वसूली को लेकर तो निगम प्रबंधन को भयंकर सर्दी में भी पसीना बहाना पड़ रहा है।
इधर इस बारे में जब एचआरटीसी के अधिकारियों से अधिकारिक तौर पर बात करनी चाही तो एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक एनएन सलारिया ने यह कहकर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया कि वह बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं। लेकिन उन्होंने इतना जरूर बताया कि यह सरकारी कार्यक्रम था जिसकी अदायगी सामान्य प्रशासन विभाग शिमला द्वारा की जानी है। जिला मंडल का बिल लगभग 71 लाख है जो सामान्य प्रशासन को भेज दिया गया है। लगता है जल्दी ही पैसे मिल जाएंगे।