मंडी (वी कुमार): आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां नाग देवता पुजारिन के देह त्यागने के बाद प्रकट हुए थे। मंदिर जोगिंद्रनगर उपमंडल की लड़भड़ोल तहसील की ग्राम पंचायत त्रयाम्बली के मझेड़ गांव में है। देवता माहूंनाग का यह मंदिर करीब 100 वर्ष पुराना है। इस मंदिर के साथ एक रोचक कथा जुड़ी हुई है।
इलाके के लोग बताते हैं कि जिस स्थान पर मंदिर है पहले वहां पर सिर्फ जंगल ही हुआ करता था। गांव की एक बुजुर्ग महिला मंगसरू देवी मंदिर वाले स्थान पर आकर साधना किया करती थी। बताया जाता है कि उस दौर में लोग मंगसरू देवी को काफी मानते थे। बुरी शक्तियों के प्रभाव से बचने के लिए लोग मंगसरू देवी के पास आते और उनका समाधान करवाते।
मंगसरू देवी सभी का निष्काम भाव से काम करती, लेकिन एक दिन मंगसरू देवी ने अपनी देह त्याग दी। मंगसरू देवी के देह त्यागने के कुछ समय बाद ग्रामीणों ने यहां पर आकर देखा तो उन्हें एक पिंडी दिखाई दी। यह पिंडी ठीक उसी स्थान पर मौजूद थी जहां मंगसरू देवी बैठा करती थी। ग्रामीणों ने दूसरे मंदिरों में जाकर पता किया तो मालूम हुआ कि उनके गांव में नाग देवता प्रकट हुए हैं। इसके बाद ग्रामीणों ने यहां पर देवता का मंदिर बनाया।
बीते करीब 100 वर्षों से लोग इस मंदिर में आकर नाग देवता का आशीवार्द प्राप्त करते हैं। इस मंदिर में आज भी बड़ा प्राचीन ढोल, ढोलकी और नरसिंघा मौजूद हैं। इन प्राचीन वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल शादी-विवाह या फिर धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान किया जाता है। मौजूदा समय में देवता के 70 वर्षीय पुजारी बोनूराम बताते हैं कि मंदिर में आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। यहां सच्चे मन और श्रद्धा से जो भी फरियाद लगाता है उसकी झोली कभी खाली नहीं रहती।