शिलाई (एमबीएम न्यूज) : उपमंडल की बालीकोटी पंचायत की कुंडियो कोटी प्राथमिक पाठशाला के नन्हें छात्र की मासूमियत ने प्रारंभिक शिक्षा विभाग को हिलाकर रख दिया है। कहते हैं, दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है। यह बात भी विभाग पर चरितार्थ हुई है। हाल ही में नन्हीं छात्राओं के हाथ में शिक्षकों के पर्स व बैग थामे तस्वीरें वायरल हुई थी। इस पर भी विभाग हिल गया था।
ताजा घटनाक्रम में कुंडियो कोटी प्राथमिक पाठशाला में नन्हें छात्र ने मासूमियत से मोबाइल कैमरे के सामने यह बयां कर दिया कि दोनों शिक्षकों के अलावा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी स्कूल नहीं आया है। वह बाहर टाट-पट्टी पर खुद ही धूप में पढ़ रहे हैं। मोबाइल से वीडियो बनाने वाले ने जब छात्र से पूछा कि स्कूल किसने खोला है तो मासूमियत से बच्चे ने कहा कि खुद छात्रों ने ही स्कूल खोला। यह वीडियो युवा अनिल चौहान ने सोमवार दोपहर फेसबुक पर अपलोड कर दिया, जिसे धड़ाधड़ शेयर मिलने लगे।
आलम यह हुआ कि महज दो दिन में वीरवार दोपहर तक वीडियो को करीब 500 शेयर मिल चुके थे। साथ ही 28 हजार के करीब व्यूज मिल चुुके थे। चूंकि विभाग पहले ही बिलासपुर के स्कूल से सबक ले चुका था, लिहाजा आज सुबह ही प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उप निदेशक दलीप नेगी ने दुर्गम कुंडियो कोटी पाठशाला में डेरा डाल लिया। विभाग ने शिक्षक दिनेश (पैट) व चेतराम (एचटी/जेबीटी) को निलंबित करने का फैसला ले लिया है। साथ ही शिलाई के खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी सुंदर सिंह वर्मा व कार्यवाहक सीएचटी मेहंदो देवी (कंडियारी) को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उप निदेशक दलीप सिंह नेगी ने कहा कि दो शिक्षकों को निलंबित करने की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। साथ ही कहा कि सीएचटी व बीपीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। उपनिदेशक ने कहा कि प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं है। सीधे ही निलंबित शिक्षकों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी। उपनिदेशक ने पूछे जाने पर सीएचटी व बीपीईओ के निलंबन की संभावना से भी इंकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब वीडियो वायरल हुआ, यहां तक की प्रिंट मीडिया में भी रिपोर्ट हुआ तो अधीनस्थ अधिकारियों ने इसे उनके कार्यालय तक रिपोर्ट करना मुनासिब नहीं समझा।
उधर प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक मनमोहन शर्मा ने कहा कि वायरल वीडियो का कड़ा संज्ञान लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि चंद शिक्षकों की गलती के कारण समूचा विभाग शर्मिंदगी महसूस करे।