मंडी (वी कुमार) : अगर कूड़ा मुक्त शहर में जहां कूड़ा मुक्त का बोर्ड लटका हो वहीं सबसे ज्यादा गंदगी नजर आए तो कागजी हकीकत का पता चल जाता है। कुछ ऐसा ही हाल इन दिनों नगर परिषद नेरचौक का भी है। नेरचौक को नगर परिषद का दर्जा तो दे दिया गया है लेकिन यहां सुविधाएं देने में देरी की जा रही है।
वर्ष 2015 में नेरचौक शहर के आसपास के ग्रामीण इलाकों को मिलाकर इसे नगर परिषद का दर्जा दिया गया। लेकिन दर्जा देने के बाद यहां पर सुविधाएं देने में काफी देरी की जा रही है। दो वर्ष बीत जाने के बाद भी नगर परिषद की कार्यप्रणाली में कोई खास गति नजर नहीं आ रही है। शहर की साफ-सफाई का जिम्मा अब नगर परिषद के पास है लेकिन नेरचौक बाजार के हालात बताते हैं कि यहां पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वर्षों से नेरचौक बाजार के लोग यहां फैली गंदगी से परेशान थे और आज भी हालात वैसे ही हैं।
यहां की नालियों की ब्लॉकेज अभी तक ठीक नहीं हो पाई है। नालियां ब्लॉक होने के कारण सारा पानी रूका रहता है जिस कारण गंदगी फैल रही है और बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है। वहीं शहर को कूड़ा मुक्त शहर भी बनाया गया है लेकिन जहां पर यह बोर्ड टंगा है वहीं पर गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। नेरचौक के लोग भी इस बात को मान रहे हैं कि उन्हें नगर परिषद के दायरे में तो लाया गया लेकिन सुविधाएं न के बराबर भी नहीं मिल रही हैं।
वहीं जब इस बारे में नगर परिषद नेरचौक की कार्यकारी अधिकारी उर्वशी वालिया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहर में डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन की जा रही है। नालियों की ब्लॉकेज को सुधारने के लिए नगर परिषद ने प्रस्ताव पारित करके 50 लाख के बजट का प्रावधान कर दिया है। शुरूआती चरण में जहां अधिक समस्या है वहां पर काम किया जाएगा ताकि शहर वासियों को बरसात से पहले कुछ निजात दिलाई जा सके।
बता दे कि जब 2015 में नेरचौक को नगर परिषद बनाया गया था तो लोगों ने इसका डटकर विरोध किया था, लेकिन सरकार की मंशा के आगे लोगों की एक न चली और उन्हें नगर परिषद को स्वीकार करना ही पड़ा। अब जनता जब नगर परिषद को स्वीकार कर रही है तो उन्हें परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है और इस बात की भी जानकारी नहीं कि इन परेशानियों का हल कब तक निकलेगा।