नाहन (एमबीएम न्यूज): डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज परिसर मेेंं वीरवार को फिर हंगामा हुआ। प्रिंसीपल कार्यालय में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती कर दी गई है। लगभग आधा दर्जन सुरक्षा कर्मियों को यह सुनिश्चित करने के आदेश मिले हैं कि कोई भी बाहरी व्यक्ति कैमरे या मोबाइल लेकर भीतर न घुसे। दोपहर को कई मीडिया कर्मी प्रधानाचार्य से मेडिकल कॉलेज से जुड़े मसलों व सुविधाएं पर राय जानने के लिए पहुंचे। लेकिन कैमरे व मोबाइल ले जाने से मना कर दिया गया। इस पर काफी बवाल मचा।
दरअसल हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक ट्रांसफर हो चुके रेजीडेंट डॉक्टर को फाइलों समेत स्टाफ को तलब करते दिखाया गया था। इसी बात को लेकर न केवल कॉलेज प्रशासन तिलमिला गया, बल्कि स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग के सचिव ने भी कोई जांच करवाने की बजाय सुरक्षा कर्मियों की तैनाती को मंजूरी दे दी। इस शोर में असल मसला दब गया है। वायरल वीडियो की सच्चाई को लेकर विभाग से अब कोई जवाब नहीं मांगा जा रहा है।
प्रश्न यह पैदा होता है कि अगर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती करनी ही थी तो पहले यह जानने का प्रयास क्यों नहीं किया गया कि शिमला स्थानांतरित किए गए एक रेजीडेंट डॉक्टर जेएस चहल कार्यालय में पहुंच कर क्यों फाइलें खंगाल रहे थे। दरअसल कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. जयश्री शर्मा एक लंबे अरसे तक मेडिकल एजुकेशन की निदेशक रही। इसके बाद डिमोट होकर प्रधानाचार्य बन गई। चूंकि वह बार-बार यही कह रही है कि मेडिकल कॉलेज बंद हो जाएगा। लिहाजा सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रधानाचार्य डॉ. जयश्री शर्मा अकेले ही मेडिकल कॉलेज को चला सकती है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि मेडिकल काऊंसिल ऑफ इंडिया के मापदंड पूरी होने पर ही एमबीबीएस के बैच को मान्यता मिलती है। इसमें प्रधानाचार्य की नियुक्ति भी जरूरी हो सकती है। बहरहाल सबसे अहम मुद्दा यही है, उस वीडियो की जांच की जाए जो हाल ही में वायरल हुआ था। दीगर है कि स्वास्थ्य विभाग के विपरीत प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने शिलाई के एक बच्चे के वायरल वीडियो पर कड़ा संज्ञान लेते हुए न केवल शिक्षकों को सस्पेंड किया था, बल्कि स्कूलों से नदारद रहने वाले शिक्षकों के लिए बायोमिट्रिक प्रणाली लागू करने को भी कमर कस ली है।
उधर कॉलेज की प्रधानाचार्या से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन फोन रिसीव नहीं किया। यदि प्रधानाचार्य द्वारा एमबीएम न्यूज नेटवर्क को इस खबर से जुड़ा कोई स्पष्टीकरण भेजा जाता है तो उसे प्रकाशित किया जाएगा। उधर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना से भी मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने भी फोन रिसीव नहीं किया।