शिमला (एमबीएम न्यूज): बुधवार तडक़े कंडा जेल प्रशासन के उस वक्त होश फाख्ता हो गए थे, जब पता चला कि तीन कैदी एक साथ फरार हुए हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने यह तलाश करने का प्रयास किया कि आखिर सुरक्षित समझे जाने वाली कंडा जेल में सेंध लगाकर तीन कैदी कैसे फरार होने में सफल हो सकते हैं।
शुरूआत रात 10 बजे से होती है। रोल कॉल में तीनों ही विचाराधीन कैदी मौजूद पाए गए। उस सैल में फरार कैदियों के साथ 25 अन्य भी थे। सलाखों को बेहद शातिराना तरीके से काटा गया। इस पर साबुन भी लगाया गया, ताकि रात के सन्नाटे में सलाखें कटने की आवाज न हो। इसमें कामयाबी मिलते ही कंबलों के सहारे से पहली दीवार को फांद लिया गया। दूसरी दीवार भी आसानी से भेद ली गई। इसके बाद करीब 20 फुट ऊंची दीवार को भेदने की चुनौती कैदियों के सामने थी।
सूत्रों के मुताबिक जेल परिसर में निर्माण का कार्य चला हुआ है। लिहाजा आसानी से करीब 22-23 फुट ऊंचा पोल मिल गया, जिसे दीवार पर टिकाकर दूसरी तरफ कूद गए। सूत्रों का यह भी कहना है कि तीनों ही कैदी नंगे पांव फरार हुए हैं। जहां से फरार हुए, वहां से अंतिम छोर तक कोई भी सीसी कैमरे नहीं थे। पुलिस को फरारी की सूचना सुबह चार बजे मिली। हालांकि स्पष्ट नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि जेल प्रशासन ने पहले अपने ही स्तर पर कैदियों को ढूंढने का प्रयास किया होगा। तीनों ही नेपाली मूल के हैं।
22 वर्षीय लीलाधर पर हत्या का मामला दर्ज है, जिसे दो साल पहले कुल्लू में गिरफ्तार किया गया था। 27 साल के प्रताप सिंह पर नाबालिग बच्ची से बलात्कार का आरोप है, जिसके खिलाफ शिमला महिला थाना ने मामला दर्ज किया था। 22 साल के प्रेम बहादुर के खिलाफ भी रेप का मामला है। बहरहाल चंद सवाल हैं, जो पुलिस को अब तलाशने हैं। इसमें सबसे पहला सवाल यह है कि जब सैल में 28 कैदी थे तो 25 को यह क्यों नहीं पता चला कि सलाखें कट रही हैं। क्या इस फरारी को लेकर तीनों के बीच पहले से ही कोई प्लानिंग चल रही थी। सलाखों को मंगलवार की रात ही काटा गया, या इसे धीरे-धीरे काटा जा रहा था।
सूत्रों का यह भी कहना है कि सलाखों को काटने के लिए इस्तेमाल किया गया ब्लेड फिलहाल पुलिस को नहीं मिला है। उधर एसपी सौम्या सांबशिवन का कहना है कि तीनों कैदियों ने फरारी के लिए ब्लेड, कंबलों व पोल का इस्तेमाल किया है। उनका कहना है कि फरार कैदियों के सैल में कपड़े मिले हैं।