नाहन (मोक्ष शर्मा): वो ‘शमशुद्दीन’ शाम करीब चार बजे मेडिकल कॉलेज के परिसर में पहुंच गया था। उम्मीद थी कि प्रदेश निर्माता के नाम पर बने मेडिकल कॉलेज में उसे आसरा व उपचार भी मिलेगा, लेकिन बेसहारा बुजुर्ग की बेबसी व लाचारी को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने तमाशा बना दिया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, अंधेरे के साथ ठंड भी बढ़ती चली गई। एंबूलेंस में बैठा शमशुद्दीन पानी पी-पी कर ही पेट भरता रहा। करीब 6 घंटे बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर दबाव बढ़ा तो उसे कैजुएलिटी वार्ड में दाखिल किया गया।
मनोरोगी शमशुद्दीन को आईजीएमसी से दो एंबूलेंस कर्मी लेकर आए थे, क्योंकि उसे उपचार के बाद वापस उसी अस्पताल में भेजा गया था, जहां से उसे रैफर किया गया था। सवाल यह भी उठता है कि जब ठंड के वक्त में शमशुद्दीन यहां पहुंच ही गया था तो उसे दाखिल करने में क्या एतराज था। आप यह जानकर हैरान होंगे कि कई डॉक्टर उसे आकर दूर से ही देखते रहे। अपने तर्कों को देकर वापस लौट जाते। एमबीएम न्यूज नेटवर्क की टीम ने मौके पर पहुंच कर पूरी पड़ताल की। पता चला, 65 साल का शमशुद्दीन मनोरोगी है।
आईजीएमसी में सामाजिक संस्था लोक कल्याण समिति उसकी देखभाल कर रही थी। आईजीएमसी में तमाम रिपोर्टस ठीक आने के बाद उसे वापस नाहन भेजा गया। मौके पर पुलिस कर्मी भी पहुंचे। लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन किसी की सुनने को तैयार नहीं हुआ। रोगी वाहन के पायलट प्रदीप कुमार सहित शमशुद्दीन ठंड के हालात में ठिठुरता रहा। पायलट प्रदीप कुमार ने साफ तौर पर कहा कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन से बातचीत होने के बाद ही मनोरोगी को यहां लाया गया था। पायलट प्रदीप ने भी माना कि कॉलेज प्रबंधन के अधिकारी इधर-उधर घूम कर रोगी का मजाक उड़ाते रहे।
उधर उमंग फाऊंडेशन शिमला के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार ने मनोरोगियों के पुनर्वास के लिए अस्पताल बनाया हुआ है। यह भी देखने वाली बात है कि उसे नाहन क्यों भेजा गया। उन्होंने कहा कि इतना जरूर है कि नैतिकता के आधार पर अगर मनोरोगी पहुंच ही गया था तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दायित्व बनता था कि उसे उपचार के साथ-साथ रहने का इंतजाम मुहैया करवाया जाता। उन्होंने कहा कि बेसहारा के साथ अमानवीय व्यवहार को लेकर दो पहलुओं पर जांच होनी चाहिए। पहली यह कि उसे आईजीएमसी से नाहन क्यों भेजा गया। दूसरा यह कि नाहन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बेसहारा के साथ अमानवीय व्यवहार क्यों किया। जो भी दोषी पाया जाए, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज के मेडिकल अधीक्षक डॉ. केके पराशर ने माना कि रोगी को यहीं से रैफर किया गया था। उन्होंने कहा कि रात को ही मनोरोगी को अस्पताल में दाखिल कर लिया गया था, जिसे उपचार दिया जा रहा है।