नाहन (मोक्ष शर्मा): अक्सर आईएएस या आईपीएस अधिकारियों के दबंग एक्शन सामने आते हैं। लेकिन इस बार प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक दलीप नेगी का कडक़ एक्शन चर्चा में है, जिसकी गूंज विभाग के निदेशालय के साथ-साथ प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहुंचने लगी है। संभवत: यह पहला ही मौका है, जब शिक्षकों की फैडरेशन के अध्यक्ष को ही निलंबित कर दिया गया हो।
शिक्षा अधिकारी ने प्राईमरी टीचर फैडरेशन के अध्यक्ष सुदर्शन ठाकुर को सस्पेंड करने के अलावा 18 अन्य प्राथमिक शिक्षकों के खिलाफ भी कड़े तेवर अख्तियार किए हैं। कारण बताओ नोटिस का जवाब न देने पर रखनी स्कूल में तैनात एचटी नरेश पोशवाल, कोटड़ी स्कूल के एचटी भूपेंद्र सिंह व धौण स्कूल के सीएसटी सुरेंद्र सिंह का वेतन भी रोक दिया है। अब आप सोच रहे होंगे, आखिर मामला क्या है। दरअसल 9 अक्तूबर 2017 से प्राथमिक स्कूलों की खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन चौगान मैदान में हुआ।
उपनिदेशक दलीप नेगी ने टूर्नामेंट के सफल आयोजन के लिए अपनी शक्तियों को खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी नरेश शर्मा को डेलीगेट कर दिया। लिहाजा डयूटियां लगवाने को लेकर प्राईमरी टीचर फैडरेशन ने नरेश शर्मा पर दबाव डालना शुरू कर दिया। खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी पर इस कदर दबाव डाला गया कि उन्हें पीजीआई में दाखिल होना पड़ा। शिक्षकों पर शराब पीकर खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी नरेश शर्मा को धमकाने का आरोप लगा।
चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद मामला अधर में लटका, लेकिन आचार संहिता हटते ही उपनिदेशक दलीप नेगी एक्शन में आ गए। 18 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसमें से 15 के जवाब संतोषजनक आ गए हैं। सनद रहे कि शिलाई उपमंडल में भी कुछ महीने पहले उपनिदेशक ने डयूटी से गैर हाजिर रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई थी।
इसके अलावा जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के दौरान एक होटल में भी दबिश दी थी, क्योंकि उन्हें जानकारी दी गई थी कि डयूटी पर आए शिक्षक दिन के समय भी शराब पीते हैं। लगभग चार महीने पहले प्राथमिक शिक्षकों से जुड़े संगठन ने उपनिदेशक के तबादले को लेकर दबाव डालने की कोशिश की थी, लेकिन शिक्षक संगठन इस मामले पर दो धड़ों में बंट गए थे।
बहरहाल शिक्षा अधिकारी के तौर पर उपनिदेशक का यह कदम काबिले तारीफ है, जो पूरे महकमे में खासी चर्चा का विषय बना हुआ है। उधर उपनिदेशक दलीप नेगी का कहना है कि आगे भी सख्त कदम उठाने को तैयार हैं, क्योंकि शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना ही लक्ष्य है।