शिमला (एमबीएम न्यूज़ ): सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दरियादिली दिखाई है। दरअसल अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र के जंजैहली में भारी भीड़ ने सीएम का पुतले की शवयात्रा निकाल बकायदा श्मशानघाट पर अंतिम संस्कार भी किया। पुलिस चाहती तो भीड़ को पुतले का दहन करने से रोक भी सकती थी। जैसा अमूमन कांग्रेस सरकार में हुआ करता था।
भीड़ नेे कोई भी तोड़-फोड़ नहीं की। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने पुलिस को साफ तौर पर कोई सख्त कदम न उठाने के निर्देश दिए थे, बशर्ते कानून व्यवस्था को लेकर कोई बड़ी विकट परिस्थिति पैदा न हो जाए। भारी भीड़ के आसपास पुलिस कर्मी नजर नहीं आए। अलबत्ता कुछ दूरी पर मौजूद जरूर थे। जंजैहली में इस कद्र जन आक्रोश फैलेगा, इसकी कल्पना नहीं की जा रही थी।
यह साफ नहीं हो पाया था कि शिवरात्रि मेले के उदघाटन पर छोटी काशी में कोई प्रदर्शन होगा या नहीं। इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री खुद आंदोलनकर्ताओं के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं। लेकिन यह सवाल जरूर उठ रहा है कि आखिर क्यों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सीधे ही उन लोगों से संवाद स्थापित नहीं कर रहे हैं, जिनके बूते विधायक बनने के बाद सीएम की कुर्सी तक पहुंचे हैं।
उल्लेखनीय है कि बुधवार दोपहर अचानक ही यह खबर आई थी कि आक्रोशित जनता सीएम के पुतले की अंतिम शवयात्रा निकाल रही है। बकायदा पुतले का खड्ड के किनारे ही वैसे ही अंतिम संस्कार किया गया, जैसा कि सामान्य तौर पर होता है। उधर एसपी का कहना था कि प्रदर्शन को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की तोड़फोड़ नहीं हुई है।
उधर मंडी प्रतिनिधि वी कुमार के मुताबिक सिराज भाजपा और पंचायत के प्रतिनिधियों ने बुधवार को जंजैहली में हुए प्रदर्शन की कड़े शब्दों में निंदा की है। पार्टी ने कहा है कि जंजैहली में सीएम की शवयात्रा निकालना एक अशोभनीय घटना है और कुछ चंद लोग एसडीएम कार्यालय की आग में अपनी रोटियां सेक रहे हैं तथा भोली भाली जनता को गुमराह किया जा रहा है। यहाँ तक कि कुछ लेाग इस प्रदर्शन में नौनिहालों का भविष्य भी खराब करने पर तुले हुए हैं, क्योंकि कुथाह में जनसभा को सम्बोधित करते हुए कुछ नेताओ ने स्कूली छात्रों से भी आग्रह किया है कि वे वीरवार को स्कूल न जाएं और स्कूल के बाहर प्रर्दशन करें। छात्रों को इस तरह से बुलाना उनके भविष्य के साथ खिलवाड है।